Tax on Farmers: किसानों को अगर हुई इस तरह कमाई, तो उनको भी देना होगा इनकम टैक्स
Income Tax for Farmers: आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि किसानों को होने वाली सारी कमाई टैक्स-फ्री होती है, लेकिन यह सच नहीं है. आइए जानते हैं किसानों की कमाई पर क्या कहता है इनकम टैक्स का कानून...
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इनकम टैक्स रिटर्न भरने का सीजन जोरों पर है. रिटर्न भरने का समय शुरू हुए 2 महीने बीत चुके हैं और अभी डेडलाइन में पूरे दो महीने का समय बचा हुआ है. देश में लगभग हर तरह की कमाई पर टैक्स देना होता है और सभी टैक्सपेयर के लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है. हालांकि कई तरह की कमाई को टैक्स से छूट भी मिलती है, उनमें किसानों की कमाई भी शामिल है, लेकिन किसानों की हर तरह की कमाई टैक्स-फ्री नहीं होती है.
गलत है टैक्स से जुड़ी ये धारणा
ऐसी धारणा है कि किसानों को होने वाली हर तरह की कमाई को इनकम टैक्स से छूट मिलता है, लेकिन यह गलत धारणा है. किसानों की मुख्य कमाई यानी खेती से होने वाली आय जरूर टैक्स-फ्री है, लेकिन खेत से होने वाली एक कमाई पर इनकम टैक्स लगता है. इनकम टैक्स का यह मामला तब बनता है, जब किसान को खेत से हुई कमाई बिक्री से हुई हो. मतलब खेत बेचकर मिलने वाले पैसे को कमाई माना जाता है और उसके ऊपर इनकम टैक्स की देनदारी बन सकती है.
इन मामलों में नहीं मिलती है छूट
इसे समझने के लिए पहले खेत के प्रकार को अच्छे से समझने की जरूरत है. यह जरूरी नहीं है कि जिस जमीन पर खेती की जा रही है, उसे इनकम टैक्स एग्रीकल्चर लैंड मानता हो. अगर जमीन म्युनिसिपालिटी, नोटिफाइड एरिया कमेटी, टाउन एरिया कमेटी या कैंटोनमेंट बोर्ड के अंदर है और उसकी जनसंख्या 10,000 या उससे ज्यादा है तो ये जमीन आयकर कानून के हिसाब से एग्रीकल्चर लैंड नहीं होगी. आबादी 1 लाख होने पर 2 किलोमीटर के दायरे में आने वाली जमीन एग्रीकल्चर लैंड नहीं मानी जाएगी. इसी तरह आबादी 1 लाख से 10 लाख तक होने पर 6 किलोमीटर के दायरे में और 10 लाख से ज्यादा होने पर 8 किलोमीटर तक के इलाके में स्थित जमीन को एग्रीकल्चर लैंड नहीं माना जाएगा.
दो तरीके से बनती है टैक्स देनदारी
अगर खेती की जमीन इन दायरों में आती है तो उसे कैपिटल एसेट माना जाता है. इन्हें सरल भाषा में अर्बन एग्रीकल्चर लैंड कहते हैं. इन जमीनों की बिक्री से हुए मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है. कैपिटल गेन टैक्स भी दो तरह से लगता है. अगर आप जमीन को खरीदने के 24 महीने के भीतर उसे बेचते हैं तो इसमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. यह आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से लगेगा. अगर जमीन को 24 महीने के बाद बेचा जाता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. इसकी दर 20 फीसदी है. साथ में इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलेगा.
कैपिटल गेन टैक्स से ऐसे पाएं छूट
इनकम टैक्स का कानून शहरी खेती की जमीन की बिक्री से हुए लाभ पर टैक्स से छूट पाने की सुविधा भी देता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 54 (बी) के तहत दूसरी कृषि योग्य जमीन खरीदकर कैपिटल गेन टैक्स बचाया जा सकता है. टैक्सपेयर घर खरीदकर भी टैक्स बचा सकता है. इसमें खेती की जमीन बेचने से मिली पूरी रकम का इस्तेमाल घर खरीदने के लिए करना होगा. घर बनाने के मामले में टैक्स छूट पाने के लिए 3 साल तक का समय मिल जाता है.
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