पूर्वी यूरोप में युद्ध शुरू हुए एक साल से ज्यादा समय हो चुका है. इस युद्ध ने भारी पैमाने पर तबाही मचाई है. इसके चलते सैनिकों समेत कई हजार आम नागरिक मारे जा चुके हैं और लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा है. युद्ध का असर पूर्वी यूरोप से हजारों किलोमीटर दूर तक देखा जा रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का दंश पूरी दुनिया रिकॉर्ड महंगाई के रूप में चुका रही है. पड़ोसी देश पाकिस्तान हो या ब्रिटेन जैसा विकसित देश, बाजार में खाने-पीने की कई जरूरी चीजों की किल्लत और आसमान छूती कीमतों से दुनिया भर में बड़ी आबादी का जीना मुहाल हो रहा है. पिछले साल फरवरी से चल रहा यह युद्ध अभी भी किसी निर्णायक नतीजे पर नहीं पहुंचा है. न तो रूस को विजेता कहा जा सकता है, और न ही यह दावा किया जा सकता है कि यूक्रेन ने जंग जीत ली है. हालांकि तबाही और हाहाकार के इस चौतरफा मंजर में कुछ गिने-चुने लोग हैं, जिन्हें भरपूर फायदा हो रहा है.




शाश्वत सत्य है ‘तेल का खेल’


हम बात कर रहे हैं दुनिया की कुछ चुनिंदा तेल व गैस कंपनियों की, जिन्हें युद्ध शुरू होने के बाद तगड़ी कमाई हो रही है. ये कंपनियां ऐसा मुनाफा पीट रही हैं, जैसी कमाई पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में हथियार बनाने वाली कंपनियां भी नहीं कर पाई थीं. इनमें भी खासकर अमेरिका की तेल कंपनियों का मुनाफा तो ऐतिहासिक स्तर पर है. उन्हें इस तरह का प्रॉफिट हो रहा है, जैसा उन्होंने अभी तक कभी नहीं देखा था. और सिर्फ यही युद्ध क्यों... ऐतिहासिक आंकड़े तो बताते हैं कि खाड़ी युद्ध से लेकर रूस और यूक्रेन युद्ध तक अगर किसी को बिना किसी प्रश्नचिह्न के फायदा हुआ है तो वह तेल कंपनियां हैं. मतलब जंग के सारे बहाने अपनी जगह, लेकिन ‘तेल का खेल’ शाश्वत सत्य बना हुआ है...


इन 5 कंपनियों ने की रिकॉर्ड कमाई


हम जिन कंपनियों की बात कर रहे हैं, उनकी लिस्ट बहुत लंबी नहीं है. उनके नाम हैं... शेवरॉन (Chevron), एक्सॉनमोबिल (ExxonMobil), शेल (Shell), बीपी (BP) और टोटल एनर्जीज (TotalEnergies), जिन्हें आप ऊंगलियों पर गिन सकते हैं. जंग की शुरुआत हुई पिछले साल फरवरी में, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के ऊपर हमला करने का आदेश दिया. यानी पिछला साल लगभग पूरा जंग की चपेट में रहा और सिर्फ 2022 में इन पांच तेल कंपनियों ने 195 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम मुनाफा कमा लिया. यह आंकड़ा फाइनेंशियल टाइम्स ने पांचों कंपनियों के वित्तीय परिणामों का आकलन करने के बाद दिया है. मुनाफे का का यह आंकड़ा साल भर पहले यानी 2021 की तुलना में करीब 120 फीसदी ज्यादा है. इतना ही नहीं बल्कि यह तेल एवं गैस उद्योग के लिए इतिहास का सबसे मोटा मुनाफा है.


हर घंटे में 6.3 मिलियन डॉलर...


सबसे पहले बात करते हैं दुनिया की सबसे बड़ी तेल व गैस कंपनियों में से एक एक्सॉनमोबिल की. यह अमेरिकी कंपनी जंग से जीत हासिल करने यानी मुनाफा कमाने में सबसे आगे है. इस कंपनी ने अकेले 56 बिलियन डॉलर के मुनाफे की कमाई की है, जो 2021 के उसके मुनाफे की तुलना में 1.5 गुणा ज्यादा है. मतलब कंपनी ने पिछले साल हर घंटे 6.3 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया. यह एक्सॉनमोबिल के 152 सालों के इतिहास का सबसे बड़ा मुनाफा है.




कंपनी इसे छुपाने का प्रयास भी नहीं कर रही है. जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की आशंका में डरी हुई है और दिग्गज कंपनियां कॉस्ट कम करने के लिए छंटनी और सैलरी में कटौती का सहारा ले रही हैं, इस अमेरिकी तेल कंपनी ने अपने चीफ एक्सीक्यूटिव डैरेन वूड्स को 52 फीसदी सैलरी हाइक दी है. इसके बाद वूड्स की सैलरी बढ़कर 36 मिलियन डॉलर हो गई है. इसके अलावा उन्हें बोनस और स्टॉक अवार्ड्स में भी 80 फीसदी की बंपर हाइक मिली है. कंपनी का शेयर भी पिछले साल 160 फीसदी चढ़ा.


भगवान से भी ज्यादा मुनाफा!


एक्सॉनमोबिल का यह मुनाफा सिर्फ आम लोगों को ही हैरान करने वाला नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद एक्सॉनमोबिल के मुनाफे पर हैरानी जता चुके हैं. उन्होंने कंपनी के मुनाफे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि एक्सॉनमोबिल भगवान से भी ज्यादा पैसे कमा रही है. उन्होंने कहा था कि ये तेल कंपनियां कुछ नया या अनोखा नहीं कर रही हैं, बस युद्ध से बनी परिस्थितियों का फायदा उठा रही हैं और मुनाफाखोरी कर रही हैं.


ये कंपनियां भी हैं मीलों आगे


अन्य तेल व गैस कंपनियां भी युद्ध से मुनाफा कमाने में बहुत पीछे नहीं हैं. शेवरॉन... जो एक्सॉनमोबिल के बाद दूसरी सबसे बड़ी अमेरिकी तेल व गैस कंपनी है, इसने भी ताबड़तोड़ मुनाफा कमाया है. एक्सॉनमोबिल की इस चिर प्रतिद्वंदी कंपनी ने जंग से 36.5 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड मुनाफा कमाया है. और सिर्फ अमेरिकी तेल कंपनियां ही क्यों, रूस-यूक्रेन युद्ध से फायदा कमाने में यूरोपीय तेल कंपनियां भी पीछे नहीं हैं. शेल ने इस दौरान अपने 115 सालों के इतिहास में सबसे ज्यादा मुनाफा बनाया है. इस कंपनी को 2022 में 39.9 बिलियन डॉलर का फायदा हुआ. ब्रिटिश तेल कंपनी बीपी ने इस दौरान 27.7 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया. वहीं टोटल एनर्जीज को इस युद्ध से 2022 में 22 बिलियन डॉलर का शुद्ध लाभ हुआ है.


जंग से बनाए 370 बिलियन डॉलर


मजेदार है कि यह आंकड़ा नवंबर 2022 तक का ही है. जंग उसके बाद भी जारी है. अभी मई महीना चल रहा है. मतलब आंकड़े करीब सवा चार महीने पहले के हैं. नवंबर 2022 से लेकर अभी तक न तो जंग समाप्त हुई है और न ही इन तेल कंपनियों के मुनाफा कमाने की रफ्तार धीमी पड़ी है. जिस हिसाब से इन कंपनियों ने नवंबर 2022 तक कमाई की है, उसके हिसाब से औसत निकालें तो ये कंपनियां पिछले चार महीनों में करीब 75 बिलियन डॉलर का एक्स्ट्रा मुनाफा कमा चुकी हैं. मतलब रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग से ये 5 तेल कंपनियां अब तक 370 बिलियन डॉलर से ज्यादा का प्रॉफिट बना चुकी हैं.


इराक को मिली सिर्फ एक चीज... तबाही


जंग और तबाही से तेल व गैस कंपनियों के द्वारा मुनाफा कमाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. उदाहरण के लिए इराक युद्ध को देख सकते हैं. अमेरिका व उसके सहयोगी देशों ने आरोप लगाया था कि इराक के तत्कालीन शासक सद्दाम हुसैन की सरकार के पास व्यापक तबाही के हथियार यानी मास डिस्ट्रक्शन वीपन्स (WMDs) हैं. अमेरिका ने इराक में लोकतंत्र बहाल करने का हवाला देकर हमला किया. सद्दाम हुसैन की हत्या हो गई. इराक तबाह हो गया. जिस तरह अमेरिका को मास डिस्ट्रक्शन वीपन्स का कोई सबूत नहीं मिला, उसी तरह इराक को भी लोकतंत्र नहीं मिला. उसके बाद हालात ऐसे हैं कि इराक दशकों से गृहयुद्ध की चपेट में है.




गप्प नहीं तथ्य... यहां है सबूत


इराक पर हमले के बाद अमेरिका को न WMDs मिले, न इराक को मिला लोकतंत्र... लेकिन यहां भी गिनी-चुनी कंपनियों को बेशुमार दौलत कमाने का मौका मिल गया. इराक की व्यवस्था का तहस-नहस हो गया और बदले में अमेरिकी कंपनियों ने इराक के तेल में हिस्सा पा लिया. इराक पर हमले के बाद एक्सॉनमोबिल, शेवरॉन और हेलीबर्टन जैसी तेल कंपनियां फटाफट इराक पहुंच गईं. यह कोई कोरा गप्प नहीं है. कई अमेरिकी अधिकारी कालांतर में इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं कि इराक पर हमले की असल वजह WMDs नहीं बल्कि ‘तेल’ था. अमेरिकी सेंट्रल बैंक के पूर्व चेयरमैन एलन ग्रीनस्पैन अपने संस्मरण में इसके बारे में लिखा है... मुझे इस बात से दुख होता है कि जो हर कोई जान रहा है, उसे स्वीकार करना राजनीतिक रूप से सहज नहीं है, लेकिन यह सच है कि इराक युद्ध का मुख्य कारण तेल था.


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