MSME Update: केंद्र सरकार की ओर से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (MSME) सेक्टर के अच्छे भविष्य के लिए कई योजनाएं बनाई हैं. मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई को मजबूत कड़ी के तौर पर देख रही है. आपको बता दें कि भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर माना जा रहा है. पिछले कुछ सालों से इस सेक्टर में लोगों ने कई व्यापार शुरू कर हज़ारों लोगों को रोजगार दिया है.
अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर सीआईआई की तरफ से आयोजित सम्मेलन में एमएसएमई के सचिव बीबी स्वैन ने जानकारी देते हुए बताया कि सरकार इस श्रेणी के उद्यमियों को आसानी से लोन उपलब्ध कराने के प्रयास में है.
3.47 लाख करोड़ रु का कर्ज मंजूर
सचिव बीबी स्वैन ने कहा कि किफायत लोन तक पहुंच सभी के लिए एक चुनौती से कम नहीं है और इस समस्या के समाधान को लेकर प्रयास किए हैं. स्वैन ने कहा कि, ‘हम छोटे उद्यमों को भी औपचारिक ढांचे में लाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपातकालीन लोन गारंटी योजना के तहत 3.47 लाख करोड़ रु के लोन मंजूर किए हैं. इसमें से 2.31 लाख करोड़ के कर्ज MSME क्षेत्र को दिए हैं.
ई-कामर्स से बढ़ा मुनाफा
वही एमएसएमई राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा ने कहा कि ई-कामर्स के जरिये ना केवल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का मुनाफा बढ़ा है, साथ ही उनका मार्केटिंग खर्च कम हुआ है. उन्हें नए बाजारों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिली है. वर्मा ने कहा कि एमएसएमई देश में रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाते हैं.
एक चौथाई बाजार हिस्सेदारी घटी
देश में कोरोना महामारी के दौरान एक चौथाई MSME की 3% बाजार हिस्सेदारी कम हुई है और इस पर बड़े कारपोरेट घरानों ने अपना कब्जा कर लिया है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार 69 क्षेत्रों और 147 क्लस्टरों के MSME का विश्लेषण किया, जिनका राजस्व 47 लाख करोड़ रु है. सर्वे से पता चला है कि महामारी में आधी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी में ना केवल कमी आई बल्कि परिचालन लाभ भी घटा है.