(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Ambani vs Adani: अब इस कंपनी को खरीदने के लिए मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आमने-सामने, रेस में कुल 14 कंपनियां
देश की तीसरी बिजली कंपनी को खरीदने के लिए मुकेश अंबानी और गौतम अडानी आमने सामने आ चुके हैं. इनके साथ ही कुल 14 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है.
Reliance Industries and Adani Group: देश की कई दिग्गज पावर कंपनियां अब एक और कंपनी के अधिग्रहण की रेस में शामिल हो चुकी हैं. मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज और गौतम अडानी की अडानी पावर समेत कुल 14 कंपनियों ने इसे खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखाई है. अडानी और अंबानी के अलावा वेदांता और जिंदल पावर भी इसका अधिग्रहण करना चाहते हैं.
ये कंपनी भद्रेश्वर विद्युत है और यह तीसरी ऐसी कंपनी है, जिसे देश के दो बड़े कॉरपोरेट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप ने अधिग्रहण करने की दिलचस्पी दिखाई है. इससे पहले अडानी और अंबानी की कंपनियां एसकेएस पावर और लैंकों अमरकंटक पावर को खरीदने के लिए आमने-सामने आए थे. हालांकि दोनों ने अग्रेसिव तरीके से बोली नहीं लगाई थी.
यहां भी आमने सामने आए थे अडानी और अंबानी
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, SKS पावर और लैंको अमरकंटक के लिए अभी बोली पूरी नहीं हुई है. वहीं रिलायंस और अडानी ग्रुप ने फ्यूचर रिटेल के बोली के लिए भी रुचि दिखाई है. भद्रेश्वर विद्युत को खरीदने के लिए शेरिशा टेक्नॉलोजी भी शामिल है, जिसने हाल ही में अनिल जैन के रेफेक्स इंडस्ट्रीज में 22.7 फीसदी हिस्सेदारी ली थी. जे पी इजकॉन, कैंडला एग्रो और केमिकल्स और कच्छ केमिकल्स इंडस्ट्रीज ने भी बोली सबमिट की है.
भद्रेश्वर विद्युत के बारे में
भद्रेश्वर विद्युत को पहले OPGS पावर गुजरात के नाम से जाना जाता था. इसका मुख्य उद्देश्य OPG ग्रुप के वाहनों को प्रमोट करना है. इसके पास कच्छ गुजरात में 150 MW का कोल बेस्ड पावर प्लांट है. इसका पहला यूनिट फरवरी 2015 में बनकर तैयार हुआ और सेकेंड यूनिट एक साल बाद फरवरी 2016 में तैयार हुई थी. इक्रा रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा था कि प्रोजेक्ट पर 2,026 करोड़ रुपये खर्च किया गया है, जो 6.75 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट पर लागत है. इसमें 1,497 करोड़ रुपये का कर्ज और 529 करोड़ रुपये की इक्विटी फंड पेश किया गया था.
फिर से कर्ज लेने का था प्रस्ताव
इस बिजली कंपनी पर भारी कर्ज है. कंपनी के कर्ज को दिसंबर 2020 में नॉन परफॉर्मिंग के हिसाब से बांटा गया था. इसके बाद बिजली उत्पादक ने 1,775 करोड़ के कुल कर्ज के लिए 850 करोड़ रुपये के कर्ज पुनर्गठन का प्रस्ताव तैयार किया था. एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा कि ज्यादातर कर्जदाताओं ने इस प्रस्ताव से इनकार कर दिया था.
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