(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के लिए अच्छी खबर, अब टेलीमेडिसिन का खर्चा भी क्लेम में होगा शामिल
इरडा ने कहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के क्लेम में टेलीमेडिसिन के प्रावधानों को बिना शर्त शामिल किया जाए.
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के लिए अच्छी खबर है. अब टेलीमेडिसिन के खर्च को भी इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत क्लेम किया जा सकेगा. अभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के क्लेम में टेलीमेडिसिन का खर्च शामिल नहीं है.
टेलीमेडिसिन परामर्श इंटरनेट के जरिये दूर बैठे चिकित्सक से लिए जाते हैं. फोन कॉल, व्हॉट्सऐप, मोबाइल मैसेज, वीडियो कॉलिंग के जरिये डॉक्टर और मरीज रूबरू होते हैं. इसमें मरीजों के लक्षण के आधार पर डॉक्टर सलाह मुहैया कराते हैं. कोविड-19 की वजह से हेल्थकेयर फैसिलिटी पर बढ़े बोझ के मद्देनजर यह काफी कारगर साबित हुआ है.
ICMR ने टेलीमेडिसिन को दी थी हरी झंडी
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने 25 मार्च को टेलीमेडिसिन पर गाइडलाइन जारी कर कहा था कि डॉक्टरों और बीमार लोगों के बचाव के लिए टेलीफोन पर चिकित्सा परार्श दिया जा सकता है. इसके बाद ही टेलीमेडिसिन पर होने वाले खर्च को इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत आने वाले क्लेम में शामिल करने का दबाव बढ़ने लगा था. अब बीमा नियामक प्राधिकरण यानी IRDA ने इसकी मंजूरी दे दी है. इरडा ने कहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के क्लेम में टेलीमेडिसिन के प्रावधानों को बिना शर्त शामिल किया जाए. इसमें बदलाव के लिए अलग से जानकारी देने की जरूरत नहीं होगी.पॉलिसी में शामिल मासिक और सालाना खर्च की लिमिट भी पहले जैसी ही रहेगी.
दरअसल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी को देखते हुए टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. दूर-दराज के इलाकों में जहां मरीजों का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल है या जहां हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है वहां टेलीमेडिसिन की सुविधा बहुत कारगर साबित हो सकती है.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी गाइडलाइंस में कहा है कि टेलीमेडिसिन संक्रमण से बचाव के लिए काफी कारगर है. यह समय की भी बचत करता है. भारत में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की बढ़ती तादाद को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में टेलीमेडिसिन काफी कारगर साबित हो सकती है.