बीएसई और एनएसई ने लिया बड़ा फैसला, अब इन कंपनियों पर बढ़ेगी निगरानी
स्टॉक एक्सचेंज ने कुछ कंपनियों पर निगरानी बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि स्माल कैप काउंटरों में अस्थिरता पर अंकुश लगाया जा सके.
प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई ने स्माल कैप काउंटरों में अस्थिरता पर अंकुश लगाने के लिए 500 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैप वाली कंपनियों पर निगरानी बढ़ाने का फैसला किया है. यह इनहेंस्ड सर्विलांस मीजर (ESM) 5 जून यानी आज से लागू होगा.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बीएसई ने दो अलग-अलग फाइलिंग में कहा कि सेबी और एक्सचेंजों ने एक संयुक्त बैठक में स्माल कैप वाली कंपनियों, जिनका मार्केट कैप 500 करोड़ रुपये से कम है, के लिए ईएसएम ढांचा पेश करने का फैसला किया है. ESM फ्रेमवर्क के तहत शेयरों को शॉर्टलिस्ट करने के मापदंडों में हाई और लो प्राइस अंतर और करीब-से-करीब मूल्य अंतर शामिल है.
एक्सचेजों ने कहा कि इनके लिए व्यापार 5 प्रतिशत या 2 प्रतिशत के प्राइस बैंक के साथ मार्केट, मार्केट के नेचर के हिसाब से तय किया जाएगा. स्टेज II में शेयरों के लिए, व्यापार को 2 प्रतिशत के प्राइस बैंड के साथ व्यापार तंत्र के लिए व्यापार के माध्यम से निपटाया जाएगा. इन कंपनियों को कॉल नीलामी के साथ सप्ताह में एक बार अनुमति मिलेगी.
एक्सचेंजों की ओर से कहा गया है कि पब्लिक सेक्टर की कंपनियों, पब्लिक सेक्टर के बैंकों और अन्य शेयरों, जिनपर डेरिवेटिव है, उन्हें ESM ढांचे के तहत शॉर्टलिस्टिंग की प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा. फ्रेमवर्क के तहत इन शेयरों को कम से कम तीन महीने तक रखा जाएगा. हालांकि वहीं फ्रेमवर्क के स्टेज II के तहत कम से कम 1 महीने के लिए रखा जाएगा.
एक्सचेंजों ने कहा कि एक महीने के पूरा होने के बाद, वीकली स्टेज की समीक्षा में अगर इस तरह के शेयरों के करीब करीब प्राइस अंतर एक महीने में 8 प्रतिशत से कम है, तो यह ईएसएम ढांचे के चरण I में जा सकती है. फ्रेमवर्क के तहत तीन महीने पूरे होने के बाद शेयर्स बाहर निकलने के लिए योग्य होंगे. हालांकि यह एंट्री क्राइटेरिया के तहत नहीं आता हो.
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