नोमुरा ने दिया जीडीपी गिरने का अनुमानः अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6%
नई दिल्ली: नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 फीसदी रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 फीसदी रह सकती है. नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान दिया गया है. नोमुरा ने अपने एक रिसर्च लैटर में कहा है, ‘‘हमारा अनुमान है कि साल-दर-साल आधार पर जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.3 फीसदी से घटकर अक्तूबर-दिसंबर 2016 तिमाही में 6 फीसदी रह जायेगी. वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च में यह और घटकर 5.7 फीसदी रह जाने का अनुमान है.’’
जापान की फाइनेंशियल सेक्टर की इस प्रमुख एजेंसी के मुताबिक नोटबंदी की वजह से खपत और सर्विस सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. यही दो सेक्टर हैं जो नोटबंदी से पहले काफी तेजी से बढ़ रहे थे. हालांकि, एजेंसी का कहना है कि 2017 की दूसरी छमाही से विकास दर में तेजी से सुधार आ सकता है. नोमुरा ने इससे पहले नवंबर में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोटबंदी की वजह से भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2016 की चौथी तिमाही में कमजोर पड़कर 6.5 फीसदी रह सकती है, जबकि 2017 की पहली तिमाही में यह 7.5 फीसदी रह सकती है. इससे पहले इन तिमाहियों के लिये उसने विकास दर के क्रमश: 7.3 और 7.9 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया था.
रिसर्च एजेंसी ने कहा है, ‘‘2017 की दूसरी छमाही से हमें आर्थिक वृद्धि की दर में तीव्र सुधार की उम्मीद है. ब्याज दरें घटने, प्रॉपर्टी का फिर से एलोकेशन और दबी मांग बढ़ने से इसमें तेजी से सुधार होगा.’’ रिजर्व बैंक के क्रेडिट पॉलिसी उपायों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपो दर में 0.25 फीसदी की अंतिम कटौती फरवरी में हो सकती है. हालांकि, इसमें यह भी देखना होगा कि 2017-18 में सरकार अपने राजकोषीय घाटे की स्थिति सही करे.
नोमुरा ने कहा है, ‘‘फरवरी के बाद हमें लगता है कि रिजर्व बैंक मुख्य नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करेगा क्योंकि 2017 की दूसरी तिमाही में हमें वृद्धि और महंगाई दोनों के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.’’ रिजर्व बैंक ने इससे पहले 7 दिसंबर को की गई द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को स्थिर रखा था. इस दौरान केन्द्रीय बैंक ने आर्थिक विकास दर को भी आधा फीसदी अंक घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था. नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की यह पहली मौद्रिक समीक्षा थी. रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा 8 फरवरी को करेगा.