भारत में दोबारा संक्रमण फैला तो होगी बड़ी मुश्किल, ग्रोथ घटकर -7.3 फीसदी पर जा पहुंचेगी- OECD
OECD की रिपोर्ट में वित्तीय बाजार की अनिश्चतताओं पर भी चिंता जताई गई है.इसमें कहा गया है कि सरकारों, कॉरपोरेट कंपनियों और बैंकों की माली हालत ठीक नहीं हैं.
इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी OECD ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ निगेटिव जोन में चली जाएगी और यह घट कर -3.7 फीसदी तक पहुंच सकती है. लेकिन अगर कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर आती है तो यह -7.3 फीसदी तक भी पहुंच सकती है. बुधवार को रिलीज किए गए अपने ग्लोबल आउटलुक में संगठन ने कहा है पहले इसने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की विकास दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से आर्थिक गतिविधियों में गिरावट को देखते हुए इसका ग्रोथ रेट गिर कर -3.7 फीसदी तक पहुंच सकता है. हालांकि अगले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में यह ग्रोथ रेट बढ़ कर 7.9 फीसदी पर पहुंच सकता है. पहले के अनुमानित 8.1 फीसदी के ग्रोथ रेट से यह कम ही है.
फाइनेंशियल मार्केट भी डांवाडोल
OECD की रिपोर्ट में वित्तीय बाजार की अनिश्चतताओं पर भी चिंता जताई गई है. इसमें कहा गया है कि सरकारों, कॉरपोरेट कंपनियों और बैंकों की माली हालत ठीक नहीं हैं. इसका निवेश और ग्रोथ पर गहरा असर पड़ेगा.रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ कर 8.2 से 8.9 फीसदी के बीच रह सकता है.
वर्ल्ड बैंक ने भारत का ग्रोथ घट कर -3.2 फीसदी तक गिरने का अनुमान लगाया था. OECD के ग्लोबल ग्रोथ अनुमान में कहा गया है वित्त वर्ष 2020-21 में ग्लोबल ग्रोथ में 6 फीसदी की गिरावट आ सकती है. हालांकि इसके अगले वित्त वर्ष में यह 5.2 फीसदी की दर से बढ़ सकती है.OECD ने कहा है कि सरकार के राहत पैकेजों और आरबीआई के कदम से भारत में हालात संभल सकते हैं. भारत में इस दौरान महंगाई भी कम रहेगी क्योंकि कच्चे तेल के दाम में तेजी नहीं देखी जा रही है. भारत के आयात बिल का बड़ा हिस्सा तेल खरीदने में खर्च होता है.