Office Rent: भारतीय कंपनियों के लिए खुशखबरी, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में ऑफिस किराए पर लगेगी लगाम
Knight Frank Report: रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 5वां सबसे महंगा ऑफिस स्पेस रेंटल मार्केट है. हालांकि, अगली छमाही में ऑफिसों का किराया स्थिर रहने की पूरी उम्मीद है.
Knight Frank Report: कोविड 19 के दौरान सभी कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम लागू कर दिया गया था. इसके चलते ऑफिस खाली हो गए थे और किराया धड़ाम से जमीन पर आ गिरा था. मगर, साल 2023 के बाद स्थिति में बदलाव आया. कंपनियों ने वर्क फ्रॉम ऑफिस पर जोर देना शुरू कर दिया. इसके चलते देशभर में ऑफिस का किराया तेजी से आसमान छूने लगा था. अब कंपनियों के राहत भरी खबर आई है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में अगली छमाही में ऑफिसों का किराया स्थिर रहेगा. इससे कंपनियों को बढ़ते किराए से राहत मिलेगी.
दिल्ली-एनसीआर सबसे महंगा ऑफिस स्पेस रेंटल मार्केट
नाइट फ्रैंक (Knight Frank) एपीएसी प्राइम ऑफिस रेंटल इंडेक्स के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई एशिया पैसिफिक के टॉप 10 मार्केट में शामिल है. दिल्ली-एनसीआर इस क्षेत्र में 5वां सबसे महंगा ऑफिस स्पेस रेंटल मार्केट है. पिछली तिमाही के दौरान हांगकांग सबसे महंगा ऑफिस मार्केट बाजार में बना रहा. साल 2024 की दूसरी तिमाही में देश के तीन बड़े बाजारों में ऑफिस ट्रांजेक्शन लगभग 50 फीसदी बढ़े हैं. साल 2023 के बाद इन मार्केट में लीजिंग एक्टिविटी बढ़ी है. कंपनियां भारत में कारोबार बढ़ाना चाहती हैं. इसका असर ऑफिस लीजिंग सेक्टर पर साफ दिखाया दे रहा है.
वर्क फ्रॉम ऑफिस के चलते बढ़ी ऑफिस स्पेस की डिमांड
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 की दूसरी तिमाही में बेंगलुरु में 49 लाख वर्ग फुट ऑफिस स्पेस लीज पर लिया गया है. इसके साथ ही बेंगलुरु ने ऑफिस लीजिंग मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति बरकरार रखी है. देश की सबसे बड़ी कंपनियां कर्मचारियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में ऑफिस बुला रही हैं. इसके चलते ऑफिस स्पेस की डिमांड बढ़ी है. दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु के मार्केट में स्थिरता आई है. यहां किराए में उछाल अब थम गया है. रिपोर्ट में शामिल 23 शहरों में से 15 में यही स्थिति बनी हुई है.
भारतीय इकोनॉमी में ग्लोबल कॉरपोरेट की बढ़ रही रुचि
नाइट फ्रैंक के चेयरमैन एवं एमडी शिशिर बैजल के अनुसार, ग्लोबल कॉरपोरेट की रुचि के चलते भारतीय ऑफिस स्पेस मार्केट में तेजी आई है. भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना हुआ है. यही वजह है कि पहली तिमाही में ट्रांजेक्शन लगभग 33 फीसदी बढ़े थे. कई कंपनियों ने अपने वर्कफोर्स में कटौती भी की है. इसका असर ऑफिस स्पेस रेंटल पर भी पड़ेगा. आने वाले तिमाहियों में स्थिरता कायम रहेगी.
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