नई दिल्ली: एक रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोल-डीजल की रिटेल कीमतों में रोजाना बदलाव करने के सरकार के फैसले से तेल कंपनियों के मार्जिन में सुधार आयेगा और उन्हें प्रॉफिट मिलने की संभावना है. इंडिया रेटिंग ने आज अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह कदम 2010 में पेट्रोल के दाम को, 2014 में डीजल के दाम को नियंत्रण मुक्त करने के बाद डिस्ट्रीब्यूशन के क्षेत्र में एक और पॉजिटिव ढांचागत बदलाव है. हालांकि उसके बाद एलपीजी से जुड़ी गिव इट अप स्कीम, पीडीएस केरोसिन डिस्ट्रीब्यूशन घटाने और उसके दामों में धीरे-धीरे बढ़त जैसे दूसरे ढांचागत बदलाव भी किए गए हैं जिसका फायदा आम तबके को मिला है.
वहीं कंपनियों के लिहाज से देखें तो इन सभी कदमों से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की बाजार उधारी में भी काफी कमी आई है. साल 2014 से लेकर 2016 के बीच सरकारी क्षेत्र की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की बाजार उधारी 29 फीसदी घट गई है. इसके साथ ही उनकी ब्याज अदायगी भी 37 फीसदी तक कम हो चुकी है.
जहां ये बात साफ है कि तेल कंपनियों को फ्यूल के दाम रोजाना तय होने से फायदा मिलने वाला है पर ग्राहकों को उससे फायदा होगा या नहीं? जानकारों का कहना है कि जिस तरह तेल कंपनियों को कच्चे तेल की लागत कम होने पर फायदा मिलता है उसी तरह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड के सस्ते होने पर ग्राहकों को भी फायदा मिलना लाजिमी है. कंपनियां क्रूड सस्ता होने पर फ्यूल कीमतें कम करेंगी तो देश में पेट्रोल-डीजल सस्ते होंगे.
सरकार ने पेट्रोल, डीजल के दाम रोजाना आधार पर तय करने के लिये देश के 5 शहरों में इसकी परीक्षण के तौर पर शुरुआत की गई है. पुद्दुचेरी, आंध्र प्रदेश में विशाखापट्नम, राजस्थान में उदयपुर, झारखंड में जमशेदपुर और चंडीगढ़ में एक मई से दैनिक आधार पर ईंधन के दाम तय किये जाने शुरू कर दिए गए हैं. इसे धीरे धीरे देश के दूसरे शहरों में भी शुरू किया जायेगा.