तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक, रूस और सहयोगी देशों ने जुलाई तक प्रोडक्शन में कटौती बनाए रखने का फैसला किया है. प्रोडक्शन में अब तक दस फीसदी की कटौती हो चुकी है और इस वजह से पिछले दो महीनों में कच्चे तेल के दाम दोगुने हो गए हैं.ओपेक प्लस देशों के बीच अप्रैल में तेल की सप्लाई में प्रति दिन 97 लाख बैरल की कटौती का फैसला हुआ था. यह कटौती मई और जून के दौरान करने का फैसला किया गया था ताकि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान तेल की मांग में आई कमी की वजह से हुए घाटे की भरपाई की जा सके.
अप्रैल में क्रूड के दाम घट कर 20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे. लेकिन सप्लाई में कटौती के फैसले के बाद ये दोगुने बढ़ कर 42 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए. ओपेक प्लस देश ने कहा है कि नाइजीरिया और इराक ने मई और जून में कोटा से अधिक प्रोडक्शन किया था, इसलिए उन्हें इसमें और कटौती करनी होगी. ओपेक प्लस में ओपेक देश, रूस और सहयोगी देश शामिल हैं.
लॉकडाउन के बाद बढ़ने लगी है कच्चे तेल की मांग
सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने ओपेक प्लस देश के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहा कि बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में लॉकडाउन धीरे-धीरे हटने के बाद इकनॉमी पटरी पर लौट रही है और इससे तेल की मांग में इजाफा हुआ है. विश्लेषकों का कहना है कि सऊदी अरब और रूस को तेल के दाम को एक स्तर पर बनाए रखने पर संतुलन के साथ काम करना होगा. अगर तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो अमेरिका अपने शेल गैस का उत्पादन फिर बढ़ा सकता है.
ट्रंप के दबाव में हुआ था सप्लाई कटौती का फैसला
अप्रैल में तेल कटौती पर समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में हुआ था. उनका कहना था कि ओपेक प्लस देश उत्पादन में कटौती नहीं करेंगे तो अमेरिकी तेल कंपनियां दिवालिया हो सकती हैं. ट्रंप ने कहा था कि अगर सऊदी अरब ने तेल कटौती का फैसला नहीं किया तो अमेरिका सेना सऊदी अरब से हट जाएंगी. शनिवार को तेल कटौती की अवधि और बढ़ाने से पहले ट्रंप ने सऊदी अरब और रूस से बातचीत में इस बात पर खुशी जताई कि कीमतों की दोबारा रिकवरी हो रही है.