Bhavish Aggarwal: लिंक्डइन की इस हरकत पर भड़के ओला के सीईओ, बोले- भारत में न करें राजनीति
Ola CEO on LinkedIn AI: लिंक्डइन ने ओला सीईओ के एक पोस्ट को रिमूव कर दिया. उसके बाद भाविश अग्रवाल ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए उसकी आलोचना की...
ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल प्रोफेशनल सोशल नेटवर्क लिंक्डइन पर भड़के हुए हैं. उन्होंने एक पोस्ट हटाने के लिए लिंक्डइन की आलोचन की है और साथ ही उसके ऊपर भारत में अपनी राजनीति थोपने का आरोप लगाया है.
भारत को अपने टेक-एआई की जरूरत
अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर गुरुवार को अपने डिलीटेड लिंक्डइन पोस्ट के स्क्रीनशॉट के साथ एक अपडेट शेयर किया. वह लिखते हैं- प्रिय लिंक्डइन, मेरा यह पोस्ट भारतीय यूजर्स पर आपके आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के द्वारा थोपी जा रही राजनीतिक विचारधारा को लेकर था, जो कि असुरक्षित और गलत है. नई पीढ़ी के भारतीय उद्यमी ने इसके साथ ही बताया कि भारत को क्यों अपने टेक और एआई की जरूरत है.
Dear @LinkedIn this post of mine was about YOUR AI imposing a political ideology on Indian users that’s unsafe, sinister.
— Bhavish Aggarwal (@bhash) May 9, 2024
Rich of you to call my post unsafe! This is exactly why we need to build own tech and AI in India. Else we’ll just be pawns in others political objectives. pic.twitter.com/ZWqiM90eT1
शुरू हुई जेंडर पर नई बहस
भाविश अग्रवाल के इस एक्स पोस्ट से जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी को लेकर नई बहस छिड़ गई. दरअसल पश्चिमी देशों में इन दिनों जेंडर फ्लूडिटी की बहस ट्रेंड में है, जिसमें जेंडर न्यूट्रल प्रोनाउन को यूज किया जाता है. उदाहरण के लिए ही (He) या शी (She) की जगह पर दे (They) या देम (Them) का इस्तेमाल करना. ही या शी के इस्तेमाल से जेंडर का पता चलता है, जबकि दे या देम जेंडर न्यूट्रल हैं.
लिंक्डइन ने हटाया ये पोस्ट
भाविश अग्रवाल ने जब लिंक्डइन के एआई से अपने बारे में पूछा कि भाविश अग्रवाल कौन हैं तो एआई ने जो जवाब दिया, उसमें उनके लिए ही प्रोनाउन की जगह पर दे/देम/देयर का इस्तेमाल किया गया. भाविश ने इसी बात को लेकर आपत्ति जाहिर करते हुए लिंक्डइन पर पोस्ट शेयर किया था, जिसे प्रोफेशनल कम्युनिटी पॉलिसीज के खिलाफ बताते हुए लिंक्डइन ने हटा दिया.
भारत में अभी लोग इस बीमारी से अनजान
भाविश कहते हैं- भारत में अभी ज्यादातर लोगों को प्रोनाउन इलनेस की पॉलिटिक्स के बारे में ज्यादा पता नहीं है. लोग ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि कॉरपोरेट कल्चर खास तौर पर मल्टीनेशनल कंपनियों में उनसे ऐसी उम्मीद की जाती है. बेहतर है कि इस बीमारी को वहीं वापस भेज दिया जाए, जहां से यह आई है. हमारी संस्कृति में हमेशा सभी के लिए सम्मान रहा है. हमें नए प्रोनाउन की जरूरत नहीं है.
भाविश की पोस्ट को एक्स पर इंटरनेट यूजर्स से खूब सपोर्ट मिल रहा है. कई यूजर लिंक्डइन के जेंडर इलनेस वाले रवैये को वोक बता रहे हैं और कह रहे हैं कि इस तरह से भारत में खास एजेंडा चलाया जा रहा है.
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