OLA CEO: ओला (Ola) के फाउंडर एवं सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने एक बार फिर से विदेशी कंपनियों पर हमला बोला है. उनका कहना है कि विदेशी कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) की तरह भारत का डेटा चुरा रही हैं. भाविश अग्रवाल ने इसे टेक्नो कॉलोनिज्म बताया है. उन्होंने कहा कि भारत का डेटा ये कंपनियां ग्लोबल डेटा सेंटर्स में भेज रही हैं. इस डेटा को प्रोसेस करने के बाद वापस भारत को बेच दिया जाता है. 


ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह शोषण कर रहीं विदेशी कंपनियां 


एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में भाविश अग्रवाल ने कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भी ठीक इसी तरह हमारे संसाधनों का शोषण करती थी. भारत दुनिया के डेटा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पैदा कर रहा है. मगर, इसका लाभ विदेशी टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है. इस डेटा का 10वां हिस्सा ही भारत में रखा जा रहा है. 90 फीसदी देश के बाहर चला जा रहा है. बड़ी टेक कंपनियां इसे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रोसेस कर रही हैं. इसके बाद हमें यही डेटा डॉलर में बेच दिया जाता है. यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा 200 साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी किया करती थी. 


तकनीकी उपनिवेशवाद का शिकार हो चुके हैं हम


ओला सीईओ ने कहा कि वे कपास एक्सपोर्ट करते थे और कपड़े वापस लाकर हमें बेचते थे. अब हम डेटा एक्सपोर्ट कर रहे हैं और खुफिया जानकारी वापस ला रहे हैं. यही तकनीकी उपनिवेशवाद (Techno Colonialism) है. हमें समझना होगा कि इंडियन इकोसिस्टम में ये लड़ाई कानूनी नहीं हैं. ये टेक्नोलॉजी की लड़ाई हैं. हमें अपनी संस्कृति के हिसाब से अपनी टेक्नोलॉजी डेवलप करनी पड़ेगी. एआई का भविष्य भी हमें अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से तैयार करना होगा. यूपीआई (UPI) और ओएनडीसी (ONDC) इसका सफल उदाहरण हैं. 


कृत्रिम जैसी और ज्यादा एआई कंपनियों की है जरूरत 


भाविश अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया के 20 फीसदी डिजिटल डेटा का प्रोडक्शन कर रहा है. एआई के क्षेत्र में हम शानदार काम कर सकते हैं. हम सबसे बड़ी आबादी हैं. यह डेटा ही एआई को ताकत प्रदान करता है. हम युवा हैं और हमें ज्यादा डेटा प्रोडक्शन करना चाहिए. यह डेटा हमारे कंट्रोल में रहना चाहिए. इसके लिए पूरे समाज को साथ आना पड़ेगा. साथ ही कृत्रिम (Krutrim) जैसी कंपनियां भी बढ़नी चाहिए. कृत्रिम को भाविश अग्रवाल ने ही विकसित किया है. 


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