क्यों बढ़ रही है अब पुराने नोटों की मांग? वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद कालेधन के कुबेरों ने दलालों को 40 फीसदी तक कमीशन देकर अपने कालेधन को सफेद में तब्दील किया. लेकिन जैसे जैसे 30 दिसंबर की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे अब नए नोटों की नहीं बल्कि पुराने नोटों की मांग बढ़ती जा रही है. हालात ऐसे हैं कि मार्केट से 5 फीसदी कमीशन पर यानि अगर 1 लाख के अगर पुराने नोट दे रहे है तो आपको 1 लाख 5000 के नए नोट मिलेंगे यानि 5000 रुपये का फायदा वो भी नए नोटों में. ये चौकानेवाला बदलाव आया है सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए.
नोटबंदी के बाद मिल रहे करोड़ों के कमीशन ने कई व्यापारियों, बिजनेसमैन, कंपनियों को लालच में इस कदर अंधा बना दिया कि उन्होंने अपने अकाउंट बुकस बदलवाकर अपने व्यवसाय को कई गुना दिखाया. इस उम्मीद से की कालेधन के कुबेरों से कालाधन लेकर अपने अकाउंट बुक में दिखा दें. जिससे वे करोड़ों का कमीशन पा सकेंगे और इस नोटबंदी में करोड़पति बन सकेंगे. लेकिन अब यही लालच इन सब के लिए परेशानी बन गई है क्योंकि लालच में इन्होंने अपने एकाउंट्स बुक में हेराफेरी तो कर दी लेकिन अब आयकर विभागों के सवालों से बचने के लिए और इस हेराफेरी को सही साबित करने के लिए इनके पास पैसे ही नही हैं. यही वजह की अब काले धन के ये खिलाड़ी अपने खेल को अंजाम देने के लिए बाज़ार में पुराने नोटों की तलाश कर रहे हैं ताकि 30 दिसंबर के बाद इनकी चोरी पकड़ी ना जाए.
ये सारा कैश इन हैंड का खेल है. उदाहरण के तौर पर एक व्यवसाय जिसका व्यवसाय करीब 1 करोड रुपये साल का है उसने नोटबंदी के बाद अपने अकाउंट बुक बदलवाकर 10 करोड़ कर दिए. अब नोटबंदी के बाद इस व्यवसायी ने कुछ कालेधन को अपने अकाउंट के डालकर कमीशन तो कमाया. लेकिन जैसे जैसे दिन बढ़ते गए लोगों ने बैंकों में पुराने नोट जमा किए. अब स्थिति ऐसी है कि करीब करीब 90 फीसदी पुराने नोट बैंको में जमा हो गए हैं. ऐसे में जिन्होंने अपने अकाउंट बु्क्स कई गुना बढ़ा दिए थे उनके पास अब सरकार को उतनी रकम दिखाने के लिए पैसे नहीं है. यही वजह है कि सरकार की मार से बचने के लिए ही ये लोग मार्केट से 5 फीसदी कमीशन देकर पुराने नोट ले रहे हैं.
कई व्यापारी, बिज़नेसमैन और कंपनियां कैश इन हैंड का फ़ायदा उठाकर कालेधन को सफ़ेद करते है. मसलन एक कंपनी का मालिक, बिल्डर या कोई दुकानदार/ कारोबारी अपने अकाउंट बुक नें फ़्लैट बेचने की, सामान बेचने की एंट्री करता है. लेकिन बिके हुए फ़्लैट या सामान के पैसों को बैंक में जमा न करते हुए कैश इन हैंड बताता है और साल के आख़िर में आयकर विभाग को कई ख़र्च दिखाकर उसे अपनी जेब में डाल देता है. इससे पैसे बैंक में ना जाकर उस व्यक्ति के पास ही रहते है और यही पैसे घूस देने, बेनामी प्रॉपर्टी खरीदने में या दूसरे कामों में इस्तेमाल होता है. यही बात नोटबंदी के बाद भी हो रही थी. लेकिन अब ऐसा करनेवालों पर सरकार की नजर है और सरकार से बचने के लिए ही ये लोग पुराने नोट तलाश रहे हैं.
इतना ही नहीं सरकार उन लोगों से भी पूछताछ करने जा रही है जिनका बिजनेस नोटबंदी के बाद अचानक बढ़ गया है. सराकर ने सोना चांदी जैसी महंगी चीज़ें खरीदने पर पैन कार्ड अनिवार्य किया था लेकिन कई चीज़ें ऐसी भी थी जहां आप लाखों का माल बिना पैन कार्ड दिए खरिद सकते थे. जैसे मॉल में महंगे कपड़ों की और दूसरे चीजों की शॉपिंग वगैरह. काले कुबेरों ने इसका फ़ायदा उठाते हुए करोड़ों की काली कमाई सफ़ेद कर दी. अब सरकार उन लोगों से पूछताछ करेगी जिन्होंने नोटबंदी के बाद बिना पैन कार्ड लिए लाखों करोड़ों का व्यवसाय किया. 30 दिसंबर के बाद सरकार इन लोगों की धरपकड़ करने जा रही है और यही डर इन काले धन के खिलाड़ियों को सता रहा है. जिससे बाज़ार में पुराने नोटों की डिमांड बढ़ गई है.