भारत में लोगों के आवगमन के लिए रेलवे सबसे प्रमुख माध्यम है. चाहे लंबी दूरी की यात्रा हो या शहर के भीतर ही आना-जाना हो, लोग काफी हद तक भारतीय रेलवे पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में ट्रेनों का समय पर चलना बहुत जरूरी हो जाता है, लेकिन यह साल इस हिसाब से खराब साबित हो रहा है. इस साल टाइम पर चलने वाले ट्रेनों की संख्या तेजी से कम हुई है.


मेल, एक्सप्रेस दोनों ट्रेनें लेट


टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान अगस्त के मध्य तक समय पर चलने वाली ट्रेनें कम होकर 73 फीसदी पर आ गईं. इनमें मेल और एक्सप्रेस दोनों तरह की ट्रेनें शामिल हैं. इसका मतलब हुआ कि अभी करीब 27 फीसदी मेल व एक्सप्रेस ट्रेनें समय से लेट चल रही हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो अभी हर चार में से एक ट्रेनें लेट हो रही हैं.


साल भर पहले काफी अच्छी थी स्थिति


रिपोर्ट के अनुसार, अभी से एक साल पहले स्थिति काफी बेहतर थी. उस समय करीब 84 फीसदी ट्रेनें समय पर चल रही थीं. मतलब साल भर में ट्रेनों के समय पर चलने में करीब 11 फीसदी की गिरावट आई है. इस दौरान रेलवे से माल ढुलाई की रफ्तार भी कम हुई है. पहले माल ढुलाई की औसत रफ्तार 32.4 किलोमीटर प्रति घंटे थी, जो अभी कम होकर 27.5 किलोमीटर प्रति घंटे रह गई है.


इन कारणों से ट्रेनें हो रही हैं लेट


रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनों के समय पर परिचालन को कई फैक्टर प्रभावित कर रहे हैं. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्टॉप सिग्नल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर ट्रैक के रख-रखाव पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. ट्रैक मेंटनेंस के कई पुराने काम पहले से चल रहे हैं और कई नए काम शुरू किए गए हैं. ट्रेनों की पंक्चुअलिटी पर इनका असर हो रहा है.


रेल दुर्घटनाओं ने बिगाड़ा टाइम-टेबल


दरअसल हालिया महीनों में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. हाल-फिलहाल में 14 ऐसी रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें जान-माल की हानि हुई है. सबसे भीषण हादसा ओडिसा के बालासोर में 2 जून को हुई रेल दुर्घटना है, जिसमें 294 लोगों की जानें चली गई थीं. इन दुर्घटनाओं से भी ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ है. वहीं ट्रेनों की संख्या में वृद्धि और कंस्ट्रक्शन के काम से भी परिचालन पर असर हो रहा है.


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