High Milk Prices: हाल के दिनों में दूध के दाम लगातार बढ़े (Milk Price Increase) हैं. इसका असर ये हुआ कि देश में हर तीन परिवार में से एक परिवार ने दूध खरीदना कम कर दिया है. या फिर दूसरे विकल्पों पर गौर करने लगे हैं. अगस्त महीने में अमूल (Amul) से लेकर मदर डेयरी (Mother Dairy) ने लागत में बढ़ोतरी का हवाला देकर दूध के दाम 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए थे. दूध के दामों में तब बढ़ोतरी की गई जब आम आदमी खुद महंगाई की मार से परेशान है. दूध के दामों में बढ़ोतरी ने घर के बजट को ही बिगाड़ दिया है.


अगस्त महीने में सबसे पहले अमूल ने तो उसी दिन मदर डेयरी ने 2 रुपये प्रति लीटर तक दूध के दाम बढ़ा दिए. लोकलसर्किल ने दूध के दामों में बढ़ोतरी को लेकर सर्वे किया. 311 जिलों में 21000 लोगों की प्रतिक्रिया प्राप्त हुआ.  सर्वे में 68 फीसदी लोगों ने कहा है कि दूध के खपत उनकी पहली ही जितनी है लेकिन पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. जबकि 6 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अब सस्ते ब्रांड वाले या फिर स्थानीय सप्लायर से दूध लेने लगे हैं. जबकि 4 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने इसी ब्रांड के सस्ते वाले दूध खरीदने लगे हैं. 


सर्वे में भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति ने यो तो नहीं कहा कि वे अब खपत नहीं कर रहे हैं लेकिन 20 फीसदी लोगों ने कहा कि पहले के मुकाबले दूध की खपत उन्होंने कम कर दी है. सर्वे में भाग लेने वाले 10,522 लोगों में से 72 फीसदी ने कहा कि वे 500 एमएल या 1 लीटर वाले प्लास्टिक पाउच वाले दूध खरीद रहे हैं. 12 फीसदी लोकल फॉर्म या बाटलिंग प्लांट से सीधे दूध खरीद रहे हैं. वहीं 14 फीसदी लोग अनपैक्ड दूध लोकल वेंडर्स से खरीद रहे हैं. केवल 2 फीसदी लोग टेट्रा पैक वाले दूध की खपत कर रहे हैं. 


दूध के दामों में बढ़ोतरी के बावजूद 68 फीसदी परिवार वही दूध खरीद रहे जो पहले खरीदा करते थे. लेकिन 32 फीसदी लोगों ने खपत कम कर दी है या फिर उसी ब्रांड के सस्ते दूध खरीदने लगे हैं. दूध की खपत का बड़ा असर बच्चों और उनके मानसिक शारीरिक विकास पर पड़ सकता है. 


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