Onion Price Crash: भारत में प्याज की कीमतों में एक बार फिर गिरावट देखी जा रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बेमौसम बारिश. पिछले कुछ दिनों में देश के कई इलाकों में बारिश और ओला गिरने के कारण किसानों के बीच अनिश्चितता का माहौल बन गया है. ऐसे में मौसमी आफत के कारण किसान कई जगहों पर प्याज को कीमतों से बहुत कम दाम पर बेचने को मजबूर हो गए हैं. ऐसे में भारत में प्याज के दाम अपने 5 साल के सबसे निचले स्तर (Onion Price Crashed) पर पहुंच गए हैं.


कौड़ी के भाव प्याज बेचने को मजबूर हुए किसान


देश में महाराष्ट्र में कुल प्याज का 40 फीसदी उत्पादन होता है. ऐसे में मार्च में हुई बारिश और ओला गिरने के कारण कई जगहों पर प्याज की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. किसानों के बीच गुणवत्ता की चिंता बढ़ गई है और वह घबराहट में प्याज असल दाम से बहुत कम कीमत पर बेच रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसान जल्द से जल्द अपनी प्याज को बेचने के लिए बड़ी संख्या APMC मंडियों पहुंच रहे हैं. इस कारण अचानक से मार्केट में प्याज का स्टॉक बढ़ गया है और प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है. इसके साथ ही अगर किसान अगर खराब क्वालिटी का प्याज चार से छह महीने तक स्टोर करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें 15 रुपये प्रति किलोग्राम प्याज की कीमतों में नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस तरह किसानों को दोहरी मार पड़ सकती है.


70 फीसदी प्याज खराब


लाइव मिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक किसान नासिक की मंडियों में हर दिन 24,000 टन रही प्याज किसानों द्वारा मंडी में लाया जा रहा है. इसमें से 70 फीसदी फसल खराब हो चुकी है. ध्यान देने वाली बात ये है है कि रबी प्याज मार्च से मई के बीच काटा जाता है. यह भारत में कुल प्याज के उत्पादन का 65 से 70 फीसदी हिस्सा है. फिलहाल जो मार्केट में प्याज आ रहे हैं उनकी कीमत 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं बेहतर किस्म की प्याज की कीमत 500 से 600 रुपये है. ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को आधे दाम पर बेचना पड़ रहा है.
 
बेमौसम बारिश ने प्याज की फसल को किया बर्बाद


इस साल अप्रैल तक महाराष्ट्र में सामान्य के मुकाबले 308 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. इस कारण प्याज की फसल बर्बाद हो गई है. इस कारण आगे आने वाले वक्त में प्याज के उत्पादन में कमी दर्ज की जाएगी. पिछले साल 2022-23 में प्याज का रबी सीजन में 22.9 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था. वहीं इस साल उम्मीद है कि यह बढ़कर 23.5 मीट्रिक टन हो जाएगा. मगर बारिश के कारण उत्पादन में कमी के आसार को कम दिख रहे हैं, लेकिन प्याज की शेल्फ लाइफ दो-तीन महीने कम हो जाएगी. 


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