भारत के ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) का भविष्य तय होने वाला है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने केवल स्किल वाले गेम्स को रेगुलेट करने और गेम आफ चांस को रेगुलेशन से बाहर रखने का प्रस्ताव खारिज कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि जिस भी गेम से धन कमाया जाता है, उस तरह के सभी ऑनलाइन गेम्स भारत के रेगुलेशन के दायरे में होंगे.
सरकार इस समय जो नियम तैयार कर रही है, उसे गेमिंग के भविष्य को निर्धारित करने वाला माना जा रहा है. सरकार ने इस सिलसिले में तमाम स्टेकहोल्डर्स से राय ली है. साथ ही टैक्स एक्सपर्ट्स से भी राय ली जा रही है, जिससे कि इसके नियमन में कोई लूपहोल न रह जाए. इसकी एक वजह है कि ऑनलाइन गेमिंग का कारोबार बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
चांस गेम्स को भारत में जुए की तरह माना जाता है, जो भारत के करीब हर इलाके में प्रतिबंधित है. यह राज्य सरकारों के दायरे में आता है कि उसे प्रतिबंधित माना जाए या नहीं. अब गेम आफ चांस और स्किल गेम्स दोनों के ही रेगुलेशन के दायरे में आने की संभावना है.
अगस्त में नियमन का ड्राफ्ट तैयार करने वाले एक भारतीय समिति ने एक नए निकाय का प्रस्ताव रखा था, जिसे यह तय करना हो कि गेम में स्किल शामिल है या गेम आफ चांस भी शामिल हैं। समिति ने कहा कि यह तय होने के बाद स्किल गेम्स रेगुलेशन से नियंत्रित किया जाना चाहिए।
Online games का बढ़ रहा है कारोबार
रिसर्च फर्म Redseeer का अनुमान है कि 2026 तक गेमिंग कारोबार 7 बिलियन डॉलर का हो जाएगा. इसमें real-money games का दबदबा होगा. इसका कारोबार इतना तेज है कि इंस्टीट्यूशन इन्वेस्टर्स भारत के गेमिंग में मोटा निवेश कर रहे हैं. क्रिकेट के स्टार्टअप ड्रीम 11 और मोबाइल प्रीमियर लीग में टाइगर ग्लोबल और सिकोया जैसे इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स निवेश कर चुके हैं.
विवादों में रही है गेमिंग की परिभाषा
भारत में गेमिंग को परिभाषित करना विवादास्पद रहा है. उच्चतम न्यायालय का कहना है कि कार्ड गेम रमी और कुछ फैंटेसी गेम स्किल पर आधारित और लीगल हैं. वहीं इस पर कई राज्यों के उच्च न्यायालयों ने पोकर जैसे गेम्स के बारे में अलग राय रखी है. प्रधानमंत्री कार्यालय औऱ आईटी मिनिस्ट्री इस समय नियम ड्राफ्ट कर रहे हैं. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार गेम्स को लेकर एक व्यापक अवधारणा देगी और राज्य सरकारों को प्रतिबंध लगाने या न लगाने की शक्तियां दी जाएंगी. राज्यों की सरकारें ही तय करेंगी कि गैंबलिंग या गेम्स आफ चांस के भविष्य पर फैसला करें.
युवाओं पर असर
नए रेगुलेशन तय करने में यह भी चिंता है कि इस तरह के गेम्स यंगस्टर्स को प्रभावित करेंगे. इस समय नियम न होने की वजह से गेम्स रेगुलेशन के दायरे से लगभग बाहर हैं. किशोरावस्था में बच्चे इसके एडिक्ट हो रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है और पबजी इत्यादि जैसे गेम्स खेलने वाले बच्चों के सुसाइड के मामले भी सामने आए, जिसके बाद सरकार को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने पड़े थे।