भारत और चीन के बीच टकराव से देश में चीनी सामानों के दरकिनार करने की कोशिश चल रही है. अब देश में फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स साइटों पर जल्द ही उन देशों का नाम दिख सकता है, जो इन पर बिकने वाले सामानों के उत्पादक हैं. ग्राहक यह जान सकेंगे कि ये सामान चीन में बना है या इसके बाहर. इसके आधार पर वे यह तय कर सकते हैं कि चीन में बना सामान खरीदें या नहीं.


इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड की ओर से हाल में बुलाई गई बैठक में कई कंपनियों से उनकी प्रोडक्ट लिस्टिंग में बदलाव करने को कहा गया है. कुछ कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर इसके लिए राजी हो गई हैं. ई-कॉमर्स वेबसाइट्स अपने सेलर्स और रीटेलर्स से इस बारे में बात कर सरकार को फीडबैक दे सकती हैं.


चीन में बने सामान की बिक्री पर पड़ेगा काफी असर 


अगर इस तरह प्रोडक्ट की लेबलिंग की जाती है तो चीन में बने डिवाइस और प्रोडक्ट की भारत में बिक्री पर असर पड़ सकता है.
एक अधिकारी के मुताबिक , ऑफलाइन सेटिंग में कंज्यूमर प्रोडक्ट उठाकर देख सकता है कि वह किस देश में बना है और खरीदने या ना खरीदने का फैसला ले सकता है. ऐसा ही ऑप्शन ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर भी मिलना चाहिए.  इस तरह की लेबलिंग से भारत में स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को भी काफी बढ़ावा मिल सकता है. भारत में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बेहद जरूरी है कि स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को रफ्तार मिले.


नई ई-कॉमर्स पॉलिसी आने वाली है. ई-कॉमर्स पॉलिसी के ड्राफ्ट में मिले सुझावों के बाद अब ग्राहकों के लिए 'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट को पहचान करना आसान होगा. इसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियों को प्रोडक्ट्स की मेकिंग के बारे में जानकारी देनी होगी. उन्हें ग्राहक को प्रोडक्ट के बारे में बताना होगा कि उनका प्रोडक्ट मेड इन इंडिया है या नहीं. खरीदारों को प्रोडक्ट्स से जुड़ी पूरी जानकारी मिलेगी और प्रोडक्ट्स की प्रामाणिकता की जिम्मेदारी