नई दिल्ली: ऑनलाइन खरीदारी करते वक्त सबसे आसान तरीका कैश ऑन डिलीवरी (COD) है. इसका सबसे बड़ा फायदा अपना मनपसंद सामान ऑर्डर करने के बाद कुछ दिन और विचार करने के लिए समय का मिल जाना है. साथ ही अगर आपके पास पैसे की तंगी है तो दोस्तों, साथियों से कर्ज लेकर भुगतान करने के लिए कुछ मोहलत मिल जाती है. इसके बाद भी आपको ख्याल आया कि नहीं हमें सामान नहीं चाहिए, तो ऑर्डर को कैंसिल करने का पर्याप्त समय रहता है.


आप अपनी लत को सुधारें, वर्ना मिल सकता है झटका


लेकिन अगर ये आपकी लत है, ऑर्डर के बाद खरीदें या न खरीदें की धुविधा में फंसे हैं, तो आनेवाले दिनों में आप ऐसा नहीं कर सकते. ऐसा नहीं होगा कि कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प खत्म हो जाएगा. बल्कि ऑनलाइन कंपनियां सामान को ऑर्डर करते वक्त आपके मूड को भांप लेंगीं और जब आप ऑर्डर करेंगे तो सिस्टम आपके कैश ऑन डिलीवरी विकल्प को स्वीकार नहीं करेगा.


सॉफ्टवेयर भांपेगा आपके मूड को


ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों का कहना है कि उनके यहां करीब 65 फीसदी कारोबार कैश ऑन डिलीवरी से होता है. इस विकल्प को अपनाने के बाद करीब एक तिहाई ऑनलाइन खरीददार डिलीवरी के समय सामान को लौटा देते हैं. ऐसा करने पर उन्हें 50 से 150 रुपये के बीच नुकसान होता है. इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां अपने नुकसान से बचने और ग्राहकों को जोड़े रखने पर सोच रही हैं. चूंकि खरीददार से आमना-सामना नहीं होता. बल्कि खरीददार और विक्रेता के बीच सॉफ्टवेयर माध्यम बनता है. इसलिए अब ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां सॉफ्टवेयर डेवलप करने पर फोकस कर रही हैं. सिस्टम में इस सॉफ्टवेयर के आ जाने के बाद बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. ऑनलाइन खरीददार के बारे में अगर ये सॉफ्टवेयर नकारात्मक मूड को दर्शाता है तो सॉफ्टवेयर खरीददारी के कैश ऑन डिलीवरी विकल्प को स्वीकार नहीं करेगा. तो, अगर आप मुफ्त की सुविधा के आदी हैं, तो ऑनलाइन खरीदारी करें, मगर जरा सोचकर. कैश ऑन डिलीवरी विकल्प अपनाने के बाद सामान को लौटाना आपको झटका दे सकता है.