हमारे स्कूल-कॉलेज हमें गणित और विज्ञान के मूल सिद्धांतों के बारे में तो शिक्षित करते हैं, लेकिन निवेश की मूल बातें कोई नहीं बताता. वित्तीय साक्षरता की यह कमी शायद इसलिए है कि बचत की संस्कृति के बावजूद केवल 5-6 फीसदी भारतीय ही इक्विटी में निवेश करते हैं. ज्यादातर लोग सुरक्षा के कारण अपने पैसे को बचत खातों में रखना पसंद करते हैं. हालांकि उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि इन खातों से मिलने वाला रिटर्न महंगाई दर से कम है, ऐसे में बदलते समय के साथ, उनके पैसे की वैल्यू कम होती जाती है.


फिनटेक कंपनियां ला रहीं बदलाव


आज यह कहा जा सकता है कि वित्तीय साक्षरता में सुधार लाने में टेक्नोलॉजी एक बड़ी भूमिका निभा रही है. फिनटेक कंपनियां और वित्तीय संस्थान लोगों को निवेश संबंधी बेहतर और बुद्धिमतापूर्ण निर्णय लेने के लिए शिक्षित व सशक्त बनाना चाहते हैं. वे इस दिशा में कदम उठाते हुए उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस, सूचनात्मक सामग्री और निवेश उपकरणों का लाभ मुहैया करा रहे हैं.


फिर भी, निवेशकों के लिए उपलब्ध कई विकल्पों से उनका भ्रमित होना स्वाभाविक है. निवेश करने के लिए कोई सही एसेट क्लास कैसे चुनें? आप कैसे जानेंगे कि आपके लिए क्या सही है? मैंने पाया है कि यहां दिए जा रहे ‘निवेश के सत्य’ निवेशकों के लिए उनकी धन सृजन यात्रा में एक आसान मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं. यहां बताया गया है कि आप लंबी अवधि के धन का निर्माण कैसे कर सकते हैं...


छोटी ही सही, पर जरूर करें निवेश


छोटी राशि के साथ भी निवेश करना शुरू करें, लेकिन लंबी अवधि तक उस बनाए रखें. छोटी राशि के साथ भी निवेश करना और लंबी अवधि के लिए उसे बनाए रखना दरअसल वेल्थ क्रिएशन की एक शक्तिशाली रणनीति हो सकती है. उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने 5,000 रुपये एक एसआईपी (व्यवस्थित निवेश योजना) के जरिये निवेश करते हैं. इस स्कीम ने आपको 25 वर्षों में 13 फीसदी का औसत वार्षिक रिटर्न दिया तो इस तरह आप 1 करोड़ रुपये से अधिक का कोष बना सकते हैं. यह और कुछ नहीं, बल्कि कंपाउंडिंग की ताकत है.


बिल्कुल भी निवेश नहीं करना, जोखिम भरा है


पैसा निवेश नहीं करना, पैसा बर्बाद करना है. महंगाई का मतलब केवल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं है. इसका मतलब पैसे के मूल्य में गिरावट भी है. निवेश नहीं किया तो आज के 1 लाख रुपयं से आप 25 वर्षों में 22,000 रुपयं का सामान ही खरीदेंगे (यदि वार्षिक मुद्रास्फीति की दर 6 प्रतिशत रहती है). महंगाई को मात देने के लिए ऐसे एसेट में निवेश करें जो महंगाई दर से ज्यादा तेजी से बढ़ता हो. उदाहरण के लिए, मुद्रास्फीति की 6 फीसदी वृद्धि की तुलना में इक्विटी सालाना औसतन 13 फीसदी बढ़ी है.


सूचकांकों को ट्रैक करना शुरू करें


बाजार में आने वाले अल्पकालिक उतार-चढ़ाव को लेकर प्रभावित होने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय, दीर्घकालिक लाभ के लिए बुनियादी प्रवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करें. निफ्टी50 में निवेश करें जो इंडेक्स फंड के माध्यम से भारत की शीर्ष 50 कंपनियों के पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है. इंडेक्स फंड पैसिव फंड होते हैं, जो बाजार के समान रिटर्न देती है. इस प्रकार, ये कई कंपनियों और क्षेत्रों में विविधीकरण के साथ कम लागत वाला निवेश विकल्प प्रदान करते हैं. यह निवेशकों को समग्र बाजार प्रदर्शन से लाभ उठाने की सुविधा देता है और व्यक्तिगत स्टॉक चयन से जुड़े जोखिम को कम करता है.


जोखिम और रिटर्न पर नजर रखें


निवेशक आम तौर पर केवल अपने वार्षिक रिटर्न के आधार पर फंड चुनते हैं, लेकिन जोखिम को देखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. फंड जोखिमों का प्रबंधन कैसे करता है? क्या यह आपको हर साल लगातार रिटर्न देता है या इसमें उतार-चढ़ाव होता है? आदर्श रूप से आप ऐसा फंड चुनना चाहते हैं, जो आपको कम जोखिम पर उच्च रिटर्न दे. अपस्टॉक्स में, हमने इस बारे में व्यापक स्तर पर रिसर्च की है और निवेश को आसान बनाने के लिए शीर्ष फंडों की एक सूची तैयार की है.


इक्विटी में निवेश करें और टैक्स बचाएं


ईएलएसएस या इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड की एक श्रेणी है, जो आपको बाजार से जुड़े रिटर्न अर्जित करने और टैक्स बचाने के फायदे साथ-साथ देती है. पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले निवेशक ईएलएसएस निवेश के माध्यम से धारा 80 सी के तहत करों में 46,800 रुपये तक बचा सकते हैं. सबसे अच्छी बात - इसमें केवल तीन साल की लॉक-इन अवधि है जो कि कर-बचत संबंधी साधनों में सबसे कम है.


पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन


जोखिम प्रबंधन के लिए किसी निवेश पोर्टफोलियो के लिए डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण है. अलग-अलग परिसंपत्ति वर्ग अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरीके से परफॉर्म करती हैं. इसलिए, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि किसी एक स्टॉक, ट्रेड या एसेट क्लास में निवेश को केंद्रित न करें. अपने पैसे का एक हिस्सा डेट एसेट्स जैसे फिक्स्ड इनकम फंड्स और सरकार द्वारा जारी सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड्स में निवेश करें. यह आपके पोर्टफोलियो को बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रखेगा.


रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट म्यूचुअल फंड चुनें


अतिरिक्त खर्च क्यों करें? डायरेक्ट म्यूचुअल फंड प्लान खरीदना कंपनी से सामान खरीदने जैसा है. इस स्थिति में आप एजेंट को भुगतान नहीं करते हैं और आपका व्यय अनुपात कम है. नियमित योजनाओं में अधिक शुल्क और कमीशन हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को कम शुद्ध रिटर्न मिलता है. इसलिए, डायरेक्ट प्लान चुनने से लंबी अवधि में कम लागत और उच्च समग्र रिटर्न मिल सकता है. म्यूचुअल फंड निवेश के लिए खर्चों और फीस का सावधानी से मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है, और उच्च शुद्ध रिटर्न के लिए डायरेक्ट प्लान एक लागत प्रभावी विकल्प हो सकता है.


(डिस्क्लेमर: लेखक अपस्‍टॉक्‍स के सीईओ एवं को-फाउंडर हैं. प्रकाशित विचार उनके निजी हैं. एबीपी लाइव कभी भी कहीं भी पैसे लगाने की सलाह नहीं देता है. कहीं भी निवेश करने से पहले खुद रिसर्च करें या अपने वित्तीय सलाहकार की मदद लें.)


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