Indian Railways: इस जगह 'सावन' के महीने में ट्रेन-प्लेटफॉर्म पर सिर्फ मिलेगा शाकाहारी खाना, नॉन-वेज की नो एंट्री
Vegetarian Food in Some Trains: देश के इस इलाके में सावन के महीने में शाकाहारी खाना ही प्रस्तुत किया जाएगा. खास बात ये है कि इस बार श्रावण मास पूरे 58 दिनों का पड़ रहा है.
Vegetarian Food in Trains: इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने बड़ा फैसला लिया है. सावन के महीने में देश के इस शहर में ट्रेन में केवल शाकाहारी खाना पेश किया जाएगा. बिहार के भागलपुर जिले में आगामी 4 जुलाई से 'सावन' के महीने में सिर्फ शाकाहारी यानी वेजिटेरियन खाना प्रस्तुत किया जाएगा. 4 जुलाई से इस जिले में नॉन-वेज यानी मांसाहारी खाना नहीं दिया जाएगा.
बिना प्याज और लहसुन के मिलेगा खाना
हिंदू कैलेंडर के श्रावण मास यानी सावन के महीने में खाना बिना प्याज और लहसुन के दिया जाएगा. इसके अलावा खाने के साथ फल भी दिए जाएंगे. ये व्यवस्था पूरे सावन के महीने के लिए लागू रहेगी. एएनआई की खबर के मुताबिक खाने-पीने की सर्विस के स्टॉल के मैनेजर पंकज कुमार का कहना है कि 4 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है और इसी दिन से भागलपुर ट्रेनों और स्टेशनों पर नॉन-वेज खाना बंद हो जाएगा और साफ-सफाई की भी अच्छी व्यवस्था रखी जाएगी.
कब से कब तक चलेगा इस बार सावन का महीना
4 जुलाई 2023 से इस साल सावन का महीना शुरू हो रहा है जो कि 31 अगस्त 2023 तक चलेगा, यानी इस बार सावन का महीना पूरे 58 दिन चलेगा. हिंदू संवत्सर कैलेंडर के अनुसार सावन साल का पांचवा और सबसे पवित्र मास में से एक होता है. इस महीने में प्रत्येक सोमवार को अत्यंत शुभ समय माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है और उपासक व्रत रखकर प्रभु शंकर की उपासना करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. श्रावण मास में कांवड़ यात्रा भी बेहद बड़ी धार्मिक प्रथा है जिसका पालन किया जाता है.
कांवड़ यात्रा और कांवड़ियों की धार्मिक आस्था का रखा जा रहा ध्यान
इस कांवड़ यात्रा में कांवड़िये मिट्टी के पात्र जिसे कांवड़ कहते हैं, उनमें पवित्र गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल लेकर अनेक मंदिरों के दर्शन करते हैं और भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए यात्रा करते हैं. इस साल 10 जुलाई को सावन का पहला सोमवार पड़ेगा और 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार आएगा. कांवड़िए उत्तराखंड में हरिद्वार, गोमुख, गंगोत्री के अलावा बिहार के सुल्तानगंज तक यात्रा करके पवित्र गंगा नदी का जल लाकर अपने आराध्य शंकर को जलार्पण करते हैं.
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