F&O Classroom: हम सभी की कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो हमारे लिए अच्छी नहीं होतीं. और ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) भी कोई अलग नहीं है. जैसा कि हम सभी जानते हैं, ऑप्शन ट्रेडिंग में लाभ की काफी संभावनाएं होती हैं. लेकिन यह जटिल और चुनौतियों से भरा है. स्पष्ट नियमों का पालन करने से एकमुश्त लाभ और लगातार मुनाफे के बीच अंतर हो सकता है. यहां हम ऐसी 5 सामान्य गलतियों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचकर आप अपनी ट्रेडिंग को सही ट्रैक पर रख सकते हैं.


ट्रेडिंग सिस्टम का अभाव


ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय, नियमानुसार ट्रेडिंग सिस्टम (Trading System) का होना महत्वपूर्ण है. इसमें यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि ट्रेड में कब प्रवेश करना है और कब इससे बाहर निकलना है. साथ ही, आपको यह भी पता होना चाहिए कि आप कितना रिस्क लेना चाह रहे हैं. लाइव जाने से पहले, अपनी स्ट्रेटजी को बैक-टेस्ट करें और कम-से-कम एक महीने तक पेपर ट्रेडिंग करने के बारे में विचार करें. अपने सिस्टम से ट्रेडिंग शुरू करने के बाद, बिना इधर-उधर ध्यान भटकाए इसका सख्ती से पालन करें. याद रखें कि तमाम अनिश्चितताओं और उतार-चढ़ाव के बावजूद निरंतरता बनाए रखें.


सही एक्सपायरी का चुनाव


सही एक्सपायरी (Expiry) चुनने का सीधा प्रभाव आपके लाभ और हानि पर पड़ता है. यह सिर्फ तारीख नहीं है, इसका मतलब यह भी है कि आपके द्वारा चुने गए ऑप्शंस उस समय में लाभप्रद होने चाहिए. खासकर ऑप्शंस खरीदते समय ऐसी एक्सपायरी डेट चुनें जो आपके ट्रेडिंग सिस्टम के अनुसार आपके बाज़ार पूर्वानुमान की अवधि के अनुरूप हो. 


उतार-चढ़ाव को ठीक से न समझ पाना


ऑप्शन प्राइसिंग (Option Pricing) में अस्थिरता यानी उतार-चढ़ाव प्रमुख कारक है. यह किसी परिसंपत्ति के मूल्य में अनिश्चितता की मात्रा को दर्शाता है. जब आप ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं, तो आप अनिवार्य रूप से अस्थिरता की दृष्टि से नपा-तुला जोखिम ले रहे होते हैं. उदाहरण के लिए, जब आप कोई ऑप्शन खरीदते हैं, तो आप उसमें निहित उतार-चढ़ाव का पूर्वानुमान लगा कर चल रहे होते हैं. इसका मतलब है कि आपको यह उम्मीद होती है कि उसके प्राइस में बड़ा बदलाव आएगा जिससे आपके ऑप्शन का मूल्य बढ़ेगा. इसके उलट, जब आप कोई ऑप्शन बेचते हैं, तो आप उसमें निहित अस्थिरता में गिरावट की उम्मीद करते हैं. इस कंसेप्ट को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सीधा असर आपके संभावित नफा और नुकसान पर पड़ता है. 


डेरिवेटिव इंडिकेटर्स की अनदेखी


डेरिवेटिव इंडिकेटर्स (Derivative Indicators) आपके ट्रेड्स के लिए मौसम के पूर्वानुमान की तरह होते हैं. वे आपको इस बात की स्पष्ट तस्वीर देते हैं कि मार्केट पार्टिसिपेंट्स अपनी स्थिति किस प्रकार बना रहे हैं. मार्केट सेंटिमेंट (Market Sentiment) और इन इंडिकेटर्स का विश्लेषण किए बिना किसी भी ट्रेड में प्रवेश करना आपके लिए जोखिम को बढ़ा सकता है. ट्रेड करने से पहले हमेशा ओपन इंटरेस्ट और पुट/कॉल रेशियो जैसे इंडिकेटर्स देख लें.  


ओटीएम ऑप्शंस खरीदना


आउट-ऑफ-द-मनी (OTM) ऑप्शंस के सस्ते होने का एक कारण है. उनका लक्ष्य दूरगामी होता है. हालांकि, भुगतान बड़ा हो सकता है, लेकिन लंबी अवधि में अधिकतम ट्रेड्स का आपके पक्ष में काम करने की संभावना कम होती है. यदि कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होने से पहले अंडरलाइंग में कोई मूवमेंट या वांछित मूवमेंट नहीं होता है, तो इन ऑप्शंस में रिस्क रहता है. यदि ओटीएम एक्सपायर हो जाता है तो ऑप्शन धीरे-धीरे शून्य हो जाएगा और आप ट्रेड में लगाई गई सारी पूंजी से हाथ धो बैठेंगे. थोड़े ओटीएम और एट-द-मनी (ATM) ऑप्शंस के करीब रहने से सफलता की अधिक संभावना होती है. 
संक्षेप में, ऑप्शंस ट्रेडिंग की कठिनाइयों से निपटने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण और जानकारी जरूरी है. यदि खास तौर पर इन गलतियों को पहचान कर सोच-विचार कर निर्णय लिया जाए, तो संभावित रूप से ऑप्शंस ट्रेडिंग फायदेमंद हो सकती है. याद रखें, ऑप्शंस की दुनिया में जानकारी और सावधानी आपके सबसे अच्छे साथी हैं.




(डिस्‍क्‍लेमर: लेखक अपस्‍टॉक्‍स के डायरेक्‍टर हैं, प्रकाशित विचार उनके निजी हैं. निवेश करने से पहले अपने निवेश सलाहकार की राय अवश्‍य लें)