Morbi Group Collapse: बीते रविवार को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 135 लोगों की मौत हो चुकी है. इस गंभीर मामले में अभी तक कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिनमें ओरेवा कंपनी के दो मैनेजर भी शामिल हैं. ओरेवा वही कंपनी है जिसे मोरबी पुल को ठीक करने और उसके रखरखाव का जिम्मा मिला था और अब इस कंपनी के मालिक जयसुख ओधावजी पटेल का नाम भी इस समय चर्चा में चल रहा है. 


ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल के बारे में जानें


ओरेवा ग्रुप के मालिक का नाम जयसुख ओधावजी पटेल है और उनको लेकर लोगों में उत्सुकता है कि आखिरकार ब्रिज की ऐसी कमजोर मरम्मत करने वाली कंपनी के मालिक की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है जो 135 लोगों की जिंदगियां लील गया. मोरबी ब्रिज की देखरेख का जिम्मा ओरेवा कंपनी के पास था, इसके मालिक जयसुख पटेल ने रेनोवेशन के बाद ब्रिज की मजबूती को लेकर बड़े दावे किए थे जो पांच दिन बाद ही ढह गया. हालांकि उनका कारोबारी सफर दिलचस्प रहा है लेकिन इस पुल गिरने की दुखद घटना के बाद उन्होंने अभी तक कुछ नहीं कहा है. आइये जानते हैं कि कैसा रहा है उनका सफर...


जयसुख पटेल के पिता ओधावजी पटेल ने बनाई थी अजंता कंपनी
जयसुख पटेल के पिता ओधावजी पटेल ने साल 1971 में तीन साझेदारों के साथ 1 लाख रुपये की लागत से ओरेवा ग्रुप को शुरू किया. उस समय कंपनी में जयसुख पटेल के पिता की हिस्सेदारी महज 15,000 रुपये की थी. बहरहाल कंपनी का नाम 'अजंता ट्रांज़िस्टर क्लॉक मैन्युफै़क्चरर' रखा गया जो साल 1981 में तीनों हिस्सेदारों में बंट गई. ओधावजी पटेल के नाम पर कंपनी को अजंता कंपनी के नाम से रजिस्टर कराया गया और ओधावजी ने 'क्वार्ट्ज़ क्लॉक' बनाने के जरिए दीवार घड़ियों के कारोबार में अच्छा खासा रुतबा हासिल कर लिया. अजंता उस समय दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी निर्माता बनी और यहां ये जानना जरूरी है कि जयसुखभाई पटेल के पिता ओधावजी पटेल को भारत में दीवार घड़ी का जनक के नाम से भी जाना जाता है.


जयसुख पटेल कंपनी को ओरेवा नाम से चला रहे हैं
अक्टूबर 2012 में ओधावजी पटेल की मौत के बाद कंपनी उनके दो बेटों के बीच बंट गई जिसमें से जयसुखभाई पटेल को जो कंपनी बंटवारे में मिली उसका नाम उन्होंने ओरेवा रखा. पिता के नाम से 'ओ' और अपनी मां के नाम से 'रेवा' शब्द को लेकर उन्होंने इसे ओरेवा कंपनी का नाम दिया है. 


जयसुख पटेल के हैं राजनीतिक संपर्क भी
उनके राजनीतिक संपर्क कांग्रेस और बीजेपी दोनों से हैं और चूंकि गुजरात में लंबे समय से बीजेपी सत्ता में है वो काफी हद तक इस समय बीजेपी के करीबी हैं. उनकी कंपनी की वेबसाइट पर भी कई बीजेपी नेताओं के साथ उनकी फोटोज दिखाई देती हैं. ओरेवा ग्रुप की वेबसाइट पर दिया हुआ है कि उन्होंने गुजरात में चेक डैम के लिए दो करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की. इससे सरकार की वॉटरशेड योजना के तहत 21 हेक्टेयर एग्रीकल्चर लैंड को सिंचाई की सुविधा मिली है.


जयसुख पटेल ने एक किताब भी लिखी है
जयसुख पटेल ने एक किताब 'रण सरोवर' भी लिखी है जिसमें बताया गया है कि कंपनी ने मोरबी और कच्छ में कंपनी परिसर में एक लाख से ज्यादा पेड़ लगाए हैं. पर्यावरण को बचाने के लिए साल 2007 में ओरेवा ग्रुप को इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार भी मिला था.


क्या माफी मांगेगे जयसुख पटेल


अब ये सवाल चारों तरफ उठाए जा रहे हैं कि मोरबी पुल के गिरने और 135 लोगों की मौत के बाद भी जयसुखभाई पटेल सामने क्यों नहीं आ रहे हैं और कम से कम उन्हें लापरवाही के लिए माफी तो मांगनी चाहिए जो कि उनकी तरफ से अभी तक सामने नहीं आई है.


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