देश में एक तरफ जहां खुदरा मुद्रा स्फीति दर में मई के महीने में काफी बढ़ोतरी हुई और यह पिछले छह महीने में सबसे ज्यादा थी, तो वहीं महंगे होते जा रहे खाद्य तेलों की कीमतों से लोगों को कुछ राहत मिली है. उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि पिछले एक महीने के दौरान खाद्य तेल की कीमतों की कुछ निश्चत कैटगरी में 20 फीसदी तक गिरावट आई है.


उन्होंने कहा कि पाम ऑयल की कीमत 19 फीसदी गिरावट के साथ 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इसके साथ ही, सूर्यमुखी तेल की कीमत में 16 कमी के साथ यह 157 रुपये प्रति किलो हो गई.


उपभोक्ता मंत्रालय ने आगे कहा कि खाद्य तेल की कीमत कई चीजों पर निर्भर करती है, जिनमें से अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू उत्पादन भी शामिल है. उत्पादन और घरेलू उपभोग में काफी अंतर होने की वजह से भारत बड़ी तादाद में खाद्य तेल का आयात करता है.






बढ़ती महंगाई ने घर का बजट बिगाड़ा


पिछले कुछ महीनों पर नजर डालें तो देश में जरूरी खाने की चीजों, जिसमें दाल और खाने का तेल भी शामिल है की कीमतों में काफी उछाल आया है जिसका सीधा असर देश के आम घरों के बजट पर पड़ा है. लोगों का कहना है कि महामारी में रोजगार जितना कम हुआ महंगाई उतनी ही तेजी से बढ़ी. इस महंगाई के जहां कई अलग कारण है वहीं अंतर्राष्ट्रीय ग्लोबल कमोडिटी मूल्यों में उछाल भी इसका बड़ा कारण है.


50 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गए तेल के दाम


खाने के तेल के एक ब्रांड की बात करें तो इसकी कीमत देश में 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है और इसी तेल की कीमत बंगाल में 77 फीसदी बढ़ी है. वहीं सरसों का तेल, पाम-ऑयल और दूसरे खाने के तेल की कीमतों में जबर्दस्त 30 प्रतिशत का उछाल आया है. यहा हाल दालों का भी है तुअर जैसी दालों के दाम देश भर में कमोबेश 25 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.


सोमवार को जो आंकड़े आए थे उनसे साफ है कि महंगाई पिछले 6 महीने के सबसे उच्चे ऊंचे स्तर पर जाकर 6.3 फीसदी रही. मई के महीने में पेट्रोल के दाम बढ़ना भी इसकी एक वजह में शामिल हैं लेकिन इन बढ़ती कामतों ने आरबीआई को भी चिंता में डाल दिया है जिस पर अर्थव्यस्था को आर्थिक रूप से वापस पटरी पर लाने का दबाव है.


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