अनिवासी भारतीय लोग पिछले कुछ समय से दोनों हाथ खोलकर अपने घर पैसे वापस भेज रहे हैं. सिर्फ अप्रैल महीने के दौरान विभिन्न एनआरआई डिपॉजिट स्कीम में अनिवासी भारतीयों ने 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा का अमाउंट जमा कर दिया. इससे पता चलता है कि अनिवासी भारतीयों को देश की तरक्की की संभावनाओं पर भरोसा बढ़ रहा है.
153 बिलियन डॉलर हुआ कुल जमा
रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल 2024 में अनिवासी भारतीयों के द्वारा विभिन्न एनआरआई डिपॉजिट स्कीम में 1.08 बिलियन डॉलर जमा कराए गए. एनआरआई ने साल भर पहले यानी अप्रैल 2023 में 150 मिलियन डॉलर की निकासी की थी. इस अप्रैल में आए भारी-भरकम निवेश से नॉन-रेसिडेंट इंडियन डिपॉजिट का कुल आंकड़ा 153 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
इन 2 स्कीम में आए सबसे ज्यादा डिपॉजिट
अनिवासी भारतीयों के लिए कई डिपॉजिट स्कीम चलाई जाती हैं. उनमें एफसीएनआर यानी फॉरेन करेंसी-नॉन रेजिडेंट अकाउंट प्रमुख हैं. अप्रैल महीने में जिन स्कीम में डिपॉजिट में तेजी देखी गई है, उनमें दो तरह के एफसीएनआर अकाउंट मुख्य हैं. वे दो अकाउंट हैं- फॉरेन करेंसी-नॉन रेजिडेंट (बैंक्स) या एफसीएनआर(बी) और नॉन रेसिडेंट एक्सटर्नल रूपी अकाउंट या एनआरई (आरए).
आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने के दौरान 583 मिलियन डॉलर के डिपॉजिट एनआरई (आरए) के तहत आए, जबकि एफसीएनआर(बी) में एनआरआई के द्वारा 483 मिलियन डॉलर जमा कराए गए. एफसीएनआर(बी) अकाउंट को उस समय फायदे का सौदा माना जाता है, जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा हो. इसका कारण है कि ऐसे अकाउंट में फॉरेन एक्सचेंज से जुड़े जोखिम डिपॉजिट लेने वाले बैंक के ऊपर रहते हैं. वहीं एनआरई (आरए) में जोखिम डिपॉजिटर के साथ रहता है. ऐसे में इन्हें डॉलर के मुकाबले मजबूत होते रुपये के समय में फायदे का सौदा माना जाता है.
डिपॉजिट बढ़ने से इकोनॉमी को लाभ
एफसीएनआर में रिटर्न बढ़ने से विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए डिपॉजिट ज्यादा आकर्षक हो जाता है. हालिया महीनों में इसमें रिटर्न बढ़ा है, जिसके चलते अनिवासी भारतीयों से ज्यादा डॉलर आकर्षित करने में मदद मिलती है. एनआरआई डिपॉजिट के जरिए देश को बेशकीमती विदेशी मुद्रा की आपूर्ति मिलती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होता है.
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