Oxfam Report: भारत में अरबपतियों की संख्या 39 फीसदी बढ़कर 142 पर पहुंची, इनके पास है कुल 719 अरब डॉलर की संपत्ति
Oxfam Report: देश के सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की संपत्ति के बराबर सबसे अमीर 98 लोगों की प्रॉपर्टी है. महामारी के दौरान सबसे धनी 10 फीसदी लोगों ने राष्ट्रीय संपत्ति का 45 फीसदी हिस्सा हासिल किया.
Oxfam Report: कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान भारत के अरबपतियों की कुल संपत्ति बढ़कर दोगुने से अधिक हो गई और 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा (School Education) और उच्च शिक्षा (Higher Education) देने के लिए पर्याप्त है. सोमवार को ऑक्सफैम इंडिया (Oxfam India) की सालाना रिपोर्ट के अध्ययन में यह बात कही गई. अध्ययन के मुताबिक इस दौरान भारत में अरबपतियों (Billioners) की संख्या 39 फीसदी बढ़कर 142 हो गई है.
ऑक्सफैम इंडिया की सालाना रिपोर्ट
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित विश्व आर्थिक मंच के दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन के पहले दिन जारी ऑक्सफैम इंडिया की वार्षिक असमानता सर्वेक्षण में कहा गया कि यदि सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों पर एक फीसदी अतिरिक्त कर लगा दिया जाए, तो देश को लगभग 17.7 लाख अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर मिल सकते हैं.
142 अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति
आर्थिक असमानता पर ऑक्सफैम की रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 142 भारतीय अरबपतियों के पास कुल 719 अरब अमेरिकी डॉलर (53 लाख करोड़ रुपये से अधिक) की संपत्ति है. देश के सबसे अमीर 98 लोगों की कुल संपत्ति, सबसे गरीब 55.5 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति के बराबर है.
अरबपतियों पर टैक्स लगाने से हर साल मिल सकते हैं 78.3 अरब अमेरिकी डॉलर
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यदि 10 सबसे अमीर भारतीय अरबपतियों को प्रतिदिन 10 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च करने हों तो उनकी वर्तमान संपत्ति 84 साल में खत्म होगी. ऑक्सफैम ने कहा कि इन अरबपतियों पर वार्षिक संपत्ति कर (Annual Property Tax) लगाने से हर साल 78.3 अरब अमेरिकी डॉलर मिलेंगे, जिससे सरकारी स्वास्थ्य बजट में 271 फीसदी बढ़ोतरी हो सकती है.
कोविड महामारी के दौरान 10 सबसे अमीर लोगों ने हासिल किया राष्ट्रीय संपत्ति का 45 फीसदी- Oxfam Report
रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की शुरुआत एक स्वास्थ्य संकट के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक आर्थिक संकट बन गया है. महामारी के दौरान सबसे धनी 10 फीसदी लोगों ने राष्ट्रीय संपत्ति का 45 फीसदी हिस्सा हासिल किया, जबकि नीचे की 50 फीसदी आबादी के हिस्से सिर्फ छह फीसदी राशि आई. अध्ययन में सरकार से राजस्व सृजन के अपने प्राथमिक स्रोतों पर फिर से विचार करने और टैक्सेशन के अधिक प्रगतिशील तरीकों को अपनाने का आग्रह किया गया.
ये भी पढ़ें
Renault की इन पॉपुलर कारों के दाम में हुआ इजाफा, 29,000 तक महंगी हुई कंपनी की कारें