Pakistan GDP for Fiscal Year 2022-23: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में आर्थिक हालात बिगड़ते (Pakistan Economic Crisis) ही जा रहे हैं. अब देश की नेशनल अकाउंट कमेटी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) की विकास दर में कमी की है. पहले देश की जीडीपी ग्रोथ (Pakistan GDP Growth) का अनुमान 2 फीसदी था जिसे अब घटाकर 0.29 फीसदी कर दिया गया है. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार डिफॉल्ट की चिंता के बीच कमेटी ने औद्योगिक विकास में कमी के बारे में जानकारी दी है. समिति ने बुधवार को जारी किए बयान में कहा है कि कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में मंदी के कारण पाकिस्तान की आर्थिक विकास दर में ब्रेक लग गया है. देश के कृषि सेक्टर में इस साल 1.55 फीसदी, औद्योगिक सेक्टर में -2.94 फीसदी और सर्विस सेक्टर में 0.86 फीसदी की ग्रोथ देखी गई है. बता दें कि पाकिस्तान का वित्त वर्ष जुलाई से 30 जून तक चलता है.


जीडीपी पर कमेटी ने कही यह बात


नेशनल अकाउंट कमेटी ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी के आंकड़े को 5.97 फीसदी से संशोधित करके 6.10 फीसदी कर दिया गया था. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में कमेटी का आंकड़ा 5.74 फीसदी, लेकिन असल आंकड़ा इस दौरान 5.77 फीसदी थी. ऐसे में पाकिस्तान की जीडीपी एक साल के भीतर 6.10 फीसदी से घटकर 0.29 फीसदी रह जाएगी.


आर्थिक मुश्किलों से गुजर रहा देश


गौरतलब है कि पाकिस्तान लंबे वक्त से आर्थिक संकट से गुजर रहा है. लाख कोशिशों के बाद भी अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) से अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है. साल 2019  पाकिस्तान ने आईएमएफ (IMF) से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का समझौता में किया था जिसकी 1.1 अरब डॉलर की किस्त पाने की पाकिस्तान लंबे वक्त से प्रयास कर रहा है. इसके साथ ही राजनीतिक अस्थिरता और पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ ने देश की इकोनॉमी को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (State Bank of Pakistan) ने शुक्रवार को कहा था कि देश पाकिस्तान की जीडीपी वित्त वर्ष 2022-23 में 2 फीसदी से भी कम रह सकती है.


रिकॉर्ड महंगाई से आम लोग है परेशान


आर्थिक बदहाली के साथ-साथ रिकॉर्ड महंगाई (Pakistan Inflation) ने आम जनता का कमर तोड़ दी है. अप्रैल के मुद्रास्फीति दर 36.4 फीसदी तक पहुंच गई थी. इसके साथ ही डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था. देश में आटे की कमी के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था. 


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