Pakistan Economy Crisis: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से वित्तीय राहत पैकेज के बाद पाकिस्तान को बड़ी मदद मिली है. अब इसका विदेशी मुद्रा भंडार उछलकर नौ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है. आईएमएफ के अलावा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी आर्थिक मदद मिली है, जिस कारण 14 जुलाई तक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. अब पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 8.73 अरब डॉलर हो चुका है, जो अक्टूबर तक 8.76 अरब डॉलर के बाद सबसे ज्यादा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह कुल मिलाकर लगभग 4.2 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता मिली. इसके अलावा, चीन के एक्जिम बैंक ने पाकिस्तान को 600 मिलियन डॉलर का कॉमर्शियल लोन दिया है, जो रिजर्व को बढ़ावा देगा और अगले सप्ताह रिजर्व में दिखाई देगा.
पाकिस्ताान के केंद्रीय बैंक का दावा है कि ताजा मदद और स्थानी कॉमर्शियल बैंकों के पास 5.34 अरब डॉलर की हिस्सेदारी के साथ पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार अब 14.1 अरब डॉलर है. गौरतलब है कि आईएमएफ से वित्तीय सहायता ने पाकिस्तान को डिफॉल्ट होने से बचाया है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को बचाने में भी मदद की है. इस सरकार का कार्यकाल अगले महीने समाप्त हो जाएगा.
भारी कर्ज का दबाव
भले ही पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है, लेकिन पाकिस्तान के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ चुका है. आने वाले समय में यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. पाकिस्तान के ऊपर विदेशी कर्ज 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. आईएमएफ ने आगाह किया है कि अगर देश बेलआउट के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहता है तो उसका कर्ज अस्थिर हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमित इंटरनेशनल फंड ऑप्शन और ज्यादा फंड की आवश्यकताओं के कारण लोन स्थिरता का जोखिम बढ़ चुका है.
पाकिस्तान को अभी और फंड की आवश्यकता
आईएमएफ ने पहले 120 पन्नों की रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा था कि पाकिस्तान को मौजूदा चुनाव चक्र और चल रही अतिरिक्त व्यवस्था से परे एक आईएमएफ बेलाआउट फंड और अन्य इंटरनेशनल लेंडर्स से समर्थन की आवश्यकता होगी. डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह रिपोर्ट पाकिस्तान के व्यापक आर्थिक स्थिति के बारे में बताती है और देश की नकदी संकट की स्थिति से निपटने के लिए और अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर जोर देती है.
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