Stalled Projects: अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे होम बायर्स को राहत देने की तैयारी, कमिटी ने सौंपी सरकार को सिफारिश
Delhi-NCR Housing Projects: कमिटी ने अटेक हुए प्रोजेक्ट्स से लेकर ऐसी प्रॉपर्टी जिसकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है सभी के लिए निदान के लिए अपनी सिफारिशें सौंपी है.
![Stalled Projects: अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे होम बायर्स को राहत देने की तैयारी, कमिटी ने सौंपी सरकार को सिफारिश Panel Led By Amitabh Kant Submits Report For Giving Relief To Home Buyers Of Stalled Housing Projects Stalled Projects: अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे होम बायर्स को राहत देने की तैयारी, कमिटी ने सौंपी सरकार को सिफारिश](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/08/03/bffd3ef78a7bf1ecb8229108480ef5ff1691069071186267_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Stalled Housing Projects Update: अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के तौर तरीकों के लेकर नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी20 के शेरपा अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली कमिटी ने शहरी विकास और आवसीय मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. एक्सपर्ट कमिटी ने अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए इंसोलवेंसी एंड बैंकरप्टी कानून (Insolvency & Bankruptcy Law) में बदलाव से लेकर नोएडा की प्रॉपर्टी के मामले में जमीन के लिए अथॉरिटी को भुगतान के लिए चार वर्ष का मोरोटोरियम देने का सुझाव दिया है जिससे बिल्डर्स की वित्तीय हाल में सुधार आ सके और वे जल्द से जल्द अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा कर होम बायर्स को घर की डिलिवरी दे सकें.
अगर इन सुझावों को स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के लाखों होम बायर्स को बड़ी राहत मिलेगी. कमिटी का मानना है कि देशभर में 4.5 लाख करोड़ रुपये के चार लाख के करीब प्रॉपर्टी पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं. कमिटी का मानना है कि आईबीसी कोड में बदलाव किए जाने की जरुरत है. जिसमें कंपनी के रिजॉल्यूशन की बजाए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के आधार पर रिजॉल्यूशन प्रक्रिया को अपनाया जा सके. इसका मतलब होगा कि कंपनी के सभी प्रोजेक्ट के रिजॉल्यूशन की जगह एक प्रोजेक्ट का रिजॉल्यूशन किया जाएगा जिससे कंपनी के सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर इसका असर ना पड़े.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कमिटी ने सुझाव दिया है कि इंसोलवेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस के दौरान होम बायर्स को मोरोटोरियम का फायदा नहीं देना चाहिए जिन्हें अपने फ्लैट, प्लॉट या विला का पजेशन मिलना तय है.
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे के बिल्डरों पर जमीन आवंटित करने के एवज में अथॉरिटी का 40,000 करोड़ रुपये बकाया है. इसके अलावा प्रीमियम, ब्याज और पेनल्टी भी शामिल है. बिल्डरों ने इस रकम का भुगतान नहीं किया है जिसके चलते कई मामलों में अथॉरिटी द्वारा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है. कमिटी ने अपने सुझाव में कहा है कि नोएडा में स्थित प्रोजेक्ट्स को चार सालों का मोरोटोरियम देना चाहिए जिसमें दो वर्ष ओखला बर्ड सैंक्चुअरी के आसपास कंस्ट्रक्शन पर रोक लगने के लिए और दो साल कोविड के चलते आए रुकावट के लिए देना चाहिए. दो साल का मोरोटोरियम का फायदा देश के दूसरे शहरों में भी दिया जा सकता है.
कमिटी ने ऐसे प्रोजेक्ट्स जहां काम शुरू नहीं हुआ है, या फिर ऐसे प्रोजेक्ट जहां कंस्ट्रक्शन शुरू हो गया पर बीच में अटक चुका है या फिर ऐसे मामले जिसमें बिल्डर ने बगैर रजिस्ट्री के होम बायर्स को पजेशन दे दिया है तीन मामलों के निपटान को लेकर अपने सुझाव दिए हैं.
गौतम बुध नगर में 2 लाख होम बायर्स को अपने फ्लैट की रजिस्ट्री का इंतजार है. जो 30,000 से ज्यादा होम बायर्स को अपने घर के पजेशन मिलने का इंतजार है. रजिस्ट्री के बगैर प्रॉपर्टी पर होम बायर का पूरा हक नहीं हो पा रहा है. ऐसे में किसी प्रकार के डिफेक्ट या डिस्प्यूट होने पर होम बायर्स अपने अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. यहां तक इस दौरान होम बायर्स फ्लैट भी नहीं बेच सकते.
ये भी पढ़ें
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)