नई दिल्ली: पारले-जी बिस्किट ने कोविड-19 के कारण लागू हुए लॉकडाउन में जबरदस्त बिक्री की है. उसने बिक्री का पिछले 8 दहाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 5 रुपये में मिलने वाला पारले-जी बिस्किट का प्रवासी मज़दूरों के लिए के लिए बड़ा सहारा बना. खासकर जो लोग पैदल, बसों में या ट्रेन में सफर कर रहे थे, उनका पेट भरने में इस बिस्किट का अहम रोल था, जिसका फायदा अब कंपनी को मिला है.
पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा, “कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 फीसदी बढ़ा है और इसमें से 80-90 फीसदी वृद्धि पारले-जी की सेल से हुई है. पारले-जी 1938 से भारतीयों के बीच फेवरेट ब्रांड बनी हुई है."
पारले-जी की बिक्री में जबरदस्त उछाल
लॉकडाउन में लोगों ने पारले-जी बिस्किट का स्टॉक जमा कर लिया. इससे उसकी बिक्री में बड़ी उछाल देखने को मिली. लोगों ने जरूरी सामान के तौर पर इसे लॉकडाउन के दौरान घरों में रखा. क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, “जो कुछ बाजार में मौजूद था ग्राहक उसे ले रहे थे. चाहे इसका प्रीमियम मूल्य हो या फिर किफायती मूल्य. कुछ खिलाड़ियों ने प्रीमियम मूल्य पर फोकस किया.”
पारले प्रोडक्ट्स के मयंक शाह ने लॉकडाउन में कंपनी की रणनीति पर बात करते हुए कहा, "पारले-जी बहुत लोगों के लिए आसान खाना बन गया, जबकि दूसरे लोगों के लिए सिर्फ यही विकल्प था."
लॉकडाउन में तोड़ा 82 साल का रिकॉर्ड
मयंक शाह ने कहा कि ये आम आदमी का बिस्किट है. जो लोग ब्रेड खरीदने की क्षमता नहीं रखते, ऐसे लोग पारले-जी का बिस्किट खरीदते हैं. उन्होंन कहा कि उनके पास कई राज्य सरकारों की तरफ से बिस्किट की मांग आई थी. राज्य सरकारें उनकी स्टॉक रिपोर्ट के बारे में बराबर जानकारी लेती रहीं. बहुत सारी संस्थाओं ने बड़ी मात्रा में पारले-जी का बिस्किट भी खरीदा. उन्होंने 25 मार्च से उत्पादन के दोबारा शुरू किए जाने को भाग्यशाली बताया. वर्तमान में पारले उत्पाद की देश भर में 130 फैक्ट्री है. 120 यूनिट से लगातार उत्पादन हो रहा है.
पिछले साल कंपनी थी मुश्किल में
गौरतलब है कि पिछले साल पारले-जी कंपनी मुश्किल में थी. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि पारले-जी की मांग घट गई है. रिपोर्ट्स में इस बात का ज़िक्र था कि 5 रुपये वाले पैकेट की मांग कम हो गई है. इसी का हवाले देते हुए बताया गया था कि कंपनी को 8 से 10 हज़ार कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है. हालांकि अब करीब 10 महीने बाद कंपनी की तकदीर ही बदल गई है.
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