Interim Budget 2024: देश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत सरकार को रक्षा बजट (Defence Budget) पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके लिए सरकार को एक बेंचमार्क तय करने की जरूरत है, जिसके हिसाब से डिफेंस बजट में बढ़ोतरी की जा सके. यह बेंचमार्क जीडीपी के हिसाब से तय किया जाना चाहिए. देश का रक्षा बजट जीडीपी का कुछ प्रतिशत में होना चाहिए. संसदीय समिति ने यह रिपोर्ट बुधवार को पेश की है. इसमें कहा गया है कि पड़ोसी देशों के बढ़ते रक्षा बजट, सुरक्षा संबंधी ग्लोबल चुनौतियां और भविष्य के सुरक्षा खतरों के मद्देनजर ऐसा किया जाना बेहद जरूरी है.
अभी तक रक्षा मंत्रालय ने कुछ क्यों नहीं किया
संसदीय समिति ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अभी तक रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने इस संबंध में कुछ नहीं किया, जबकि पहले भी ऐसे ही सुझाव दिए जा चुके हैं. रक्षा मामलों की संसदीय समिति ने कहा कि हमें ड्रोन, एंटी ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में इस्तेमाल होने वाले सिस्टम डेवलप करने चाहिए. हाल के युद्धों के मद्देनजर हमें अपनी सेनाओं को मजबूत बनाने की आवश्यकता है. युद्ध के तौर तरीके बदल रहे हैं. हमें भी इस इलेक्ट्रॉनिक वॉर के लिए खुद को तैयार रखना होगा. यदि हम तैयारी रखेंगे तो आसानी से इन चुनौतियों का सामना कर जाएंगे.
नए तरह की जंग लड़ने के लिए खुद को करना होगा तैयार
समिति ने कहा कि नए तरह की जंग के लिए खुद को तैयार रखने के लिए फंड की जरूरत पड़ेगी. इसलिए सरकार को जीडीपी का कुछ हिस्सा रक्षा बजट के तौर पर फिक्स कर देना चाहिए. हमें लगता है कि इससे देश का रक्षा खर्च सही दिशा में जाएगा. पिछले कुछ सालों से देश का रक्षा बजट जीडीपी का 1.8 से 1.97 फीसदी बना हुआ है. सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने कुल खर्च का 13.18 फीसदी और जीडीपी का लगभग 1.97 फीसदी दिया था.
दुनिया में औसतन जीडीपी का 3 फीसदी हो रहा डिफेंस पर खर्च
समिति ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में कहा है कि पूरी दुनिया में औसतन जीडीपी का लगभग 3 फीसदी रक्षा बजट के तौर पर दिया जा रहा है. हमारी सरकार को भी इसी तरह का बेंचमार्क फिक्स करने की जरूरत है. हमें सेनाओं को आधुनिक बनाने पर खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है.
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