केंद्र सरकार रेल यात्रा को सुविधाजनक बनाने के तमाम प्रयास कर रही है. इसके लिए रेल के डिब्बों में सुधार से लेकर वंदे भारत (Vande Bharat) जैसी तेज गति वाली ट्रेनें चलाई जा रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने चंद दिनों पहले ही एक नई वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई है. हालांकि इन तमाम प्रयासों के बाद भी रेल यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है. आंकड़े बताते हैं कि रेल यात्रियों की संख्या अभी भी कोविड से पहले के स्तर की तुलना में करीब एक-चौथाई कम है.
अभी इतनी कम है संख्या
केंद्र सरकार अब तक आठ वंदे भारत ट्रेन चला चुकी है. आने वाले समय में इन ट्रेनों की संख्या तेजी से बढ़ने वाली है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष के दौरान पहले 11 महीनों में रेल यात्रियों की संख्या 5,858 मिलियन रही. यह आंकड़ा कोविड से पहले यानी 2019-20 में 7,674 मिलियन रहा था. इस तरह अभी कोविड से पहले की तुलना में रेल यात्रियों की संख्या 1,815 मिलियन यानी करीब 24 फीसदी कम है.
धीरे-धीरे बढ़ी यात्रियों की संख्या
आंकड़ों के अनुसार, रेलवे से यात्रा करने वालों की संख्या 2018-19 में 7,725 मिलियन रही थी. वहीं लॉकडाउन लगने के बाद 2020-21 में रेल यात्रियों की संख्या महज 985 मिलियन रह गई थी. बाद में जब रेलों का परिचालन धीरे-धीरे तेज होने लगा तो यात्रियों की भी संख्या बढ़ने लगी. रेलवे के यात्रियों की संख्या बढ़कर 2021-22 में 3,063 मिलियन पर और 2022-23 के पहले 11 महीनों यानी अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 के दौरान 5,858 मिलियन है.
दोनों श्रेणियों ने नहीं पकड़ी रफ्तार
भारतीय रेलवे के यात्रियों को दो श्रेणियों सबअर्बन और नॉन-सबअर्बन में बांटा जाता है. सबअर्बन सेवाओं में छोटी दूरी (अमूमन 150 किलोमीटर से कम) को गिना जाता है. ऐसी सेवाएं आम तौर पर किसी शहर के भीतरी इलाकों को बाहरी इलाकों से जोड़ती है. इनका परिचालन सात जोन मुंबई (सेंट्रल, वेस्टर्न), कोलकाता (ईस्टर्न, साउथ ईस्टर्न, मेट्रो), चेन्नई (सदर्न) और सिकंदराबाद (साउथ सेंट्रल) में होता है. सबअर्बन के मामले में यात्रियों की आवाजाही अभी प्री-कोविड लेवल से करीब 20 फीसदी कम है. वहीं नॉन-सबअर्बन ट्रांसपोर्ट अभी 29 फीसदी डाउन है.
जोन वाइज इतनी गिरावट
जोन के हिसाब से देखें तो प्री-कोविड लेवल की तुलना में रेल यात्रियों की संख्या वेस्टर्न जोन में सबसे ज्यादा 288 मिलियन कम है. वहीं यात्रियों की संख्या सेंट्रल जोन में 271 मिलियन और ईस्टर्न जोन में 147 मिलियन कम है. नॉन-सबअर्बन के मामले में नॉदर्न जोन में सबसे ज्यादा 176 मिलियन की गिरावट है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि चाहे शहरी इलाके हों या गैर-शहरी, भारतीय रेल से यात्रा करने वालों की संख्या अभी भी कोरोना से पहले के स्तर की तुलना में कम है.
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