Pawan Hans Divestment: विनिवेश के मोर्चे पर सरकार को बड़ा झटका, नहीं हो पाएगी पवन हंस की रणनीतिक बिक्री
Pawan Hans Strategic Sale: सरकार विनिवेश के माध्यम से पैसे जुटाने का प्रयास कर रही है, लेकिन उसे लगातार इस मोर्चे पर निराशा हाथ लग रही है. ताजा झटका पवन हंस के मामले में लगा है...
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सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस के विनिवेश (Pawan Hans Divestment) की प्रक्रिया रद्द होने वाली है. सरकार ने बार-बार हाथ लगी निराशा के चलते पवन हंस की रणनीतिक बिक्री (Pawan Hans Strategic Sale) को फिलहाल रद्द करने का फैसला लिया है. इससे सरकार की विनिवेश योजनाओं को भी तगड़ा झटका लगा है.
ये थी सरकार की योजना
बिजनेस टुडे की एक खबर के अनुसार, सरकार ने हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करने वाली कंपनी पवन हंस की 51 फीसदी की बहुलांश हिस्सेदारी को बेचने की योजना को रद्द करने का निर्णय लिया है. एक सरकारी अधिकारी ने बिजनेस टुडे को बताया कि बिक्री की प्रक्रिया को संभाल रहा इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप जल्द ही प्रक्रिया को बंद कर देगा. उन्होंने कहा कि अब हम निकट भविष्य में शायद ही पवन हंस के विनिवेश का प्रयास करें.
चार बार हो चुका है प्रयास
सरकार लंबे समय से पवन हंस की हिस्सेदारी की रणनीतिक बिक्री करने का प्रयास कर रही है. पवन हंस के विनिवेश का पहला प्रयास साल 2016 में किया गया था. उसके बाद से अब तक सरकार इस दिशा में चार बार प्रयास कर चुकी है, लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी है. आर्थिक मामलों पर बनी कैबिनेट कमिटी ने अक्टूबर 2016 में पवन हंस की रणनीतिक बिक्री पर मुहर लगाई थी.
इसी सप्ताह लग सकती है मुहर
सरकारी अधिकारी ने बिजनेस टुडे से कहा कि पवन हंस की बिक्री की प्रक्रिया को बंद करने का प्रस्ताव इसी सप्ताह मंजूरी के लिए इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप के सामने रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के बाद भी बोली लगाने वालों के खिलाफ जिस तरह के आरोप लगे हैं, उससे पारदर्शिता में खलल पड़ा है.
लगातार घाटे में है कंपनी
आपको बता दें कि पवन हंस की रणनीतिक बिक्री पर बने इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और लोक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं. पवन हंस में अभी सरकार के पास 51 फीसदी हिस्सेदारी है. शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी ओएनजीसी के पास है. इस कंपनी के पास 41 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है. इस कंपनी को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है.
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