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Pawan Hans: पवन हंस को बेचने की तीसरी कोशिश भी नाकाम, सरकार ने कैंसिल कर दी विनिवेश प्रक्रिया- ये बना कारण

Pawan Hans Privatization Scrapped: पवन हंस को खरीदने के लिए सफल बोली लगाने वाली कंपनी ही इसकी विनिवेश प्रक्रिया को कैंसिल करने की वजह बन गई. जानें क्या है सारा मामला जो पवन हंस की बिक्री के आड़े आ गया.

Pawan Hans: हेलिकॉप्टर सर्विस मुहैया कराने वाली कंपनी पवन हंस के रणनीतिक विनिवेश के जरिए निजीकरण की कोशिशों को बड़ा धक्का लगा है. केंद्र सरकार की इसकी प्राइवेटाइजेशन की योजना खटाई में पड़ गई है. यह तीसरा मौका है जब पवन हंस की रणनीतिक बिक्री की सरकार की कोशिश सफल नहीं हो पाई है, अब सरकार ने सोमवार को इसकी बिक्री प्रक्रिया को ही कैंसिल कर दिया है. पवन हंस सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का एक जॉइंट वेंचर है. इसमें सरकार के पास 51 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि बाकी हिस्सा ओएनजीसी के पास है. 

क्या रहा बिक्री प्रक्रिया कैंसिल करने का कारण

पवन हंस को बेचने की प्रक्रिया में इस कारण अड़ंगा आया क्योंकि इसको खरीदने की सफल बोली लगाने वाले कंसोर्शियम में शामिल एक कंपनी स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को अयोग्य घोषित कर दिया गया है. सरकार ने 29 अप्रैल, 2022 को स्टार-9 मोबिलिटी को पवन हंस में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए सफल बोलीदाता घोषित किया था. हालांकि NCLT के विपरीत आदेश के कारण स्टार-9 मोबिलिटी को लेटर आफ इंटेंट (एलओआई) जारी नहीं किया गया था.

कई सालों से चल रहा है पवन हंस को बेचने की प्रक्रिया पर काम

सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी के अलावा ओएनजीसी का हिस्सा भी बेचने के लिए दिसंबर, 2020 में रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए थे. उनके आधार पर अप्रैल, 2022 में पवन हंस की समूची हिस्सेदारी की बिक्री स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंसोर्शियम को 211.40 करोड़ रुपये में करने का फैसला किया गया था. इस कंसोर्शियम में बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मास ग्लोबल ऑपर्च्यूनिटी फंड एसपीसी शामिल हैं. हालांकि, मई में इस कंसोर्शियम की प्रमुख साझेदार अल्मास ग्लोबल ऑपर्च्यूनिटी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में मामला विचाराधीन होने की बात सामने आने के बाद इस बिक्री प्रक्रिया को पोस्टपोन यानी स्थगित कर दिया गया था.

स्टार9 मोबिलिटी को घोषित किया गया अयोग्य- पवन हंस की बिक्री प्रक्रिया कैंसिल

विनिवेश प्रक्रिया की निगरानी करने वाले निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग- डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक ऐसेट मैनेजमेंट (दीपम) ने सोमवार को कहा कि सरकार ने एनसीएलटी और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के प्रतिकूल आदेशों की पड़ताल की है. इसके बाद पवन हंस के लिए सफल रणनीतिक बोली लगाने वाली स्टार9 मोबिलिटी को डिसइंवेस्टमेंट प्रोसेस के लिए अयोग्य घोषित करने का फैसला किया गया है. दीपम ने बयान में कहा, "सफल बोलीकर्ता के अयोग्य घोषित होने के साथ ही रणनीतिक विनिवेश के लिए जारी प्रक्रिया निरस्त हो जाती है."

इस मामले में स्टार 9 मोबिलिटी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था. उसका जवाब आने के बाद सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की अनुमति से इस प्रक्रिया को कैंसिल करने का फैसला किया है. वैकल्पिक व्यवस्था में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, वित्त मंत्री और नागर विमानन मंत्री शामिल हैं.

स्टार 9 मोबिलिटी की साझेदार फर्म के खिलाफ हैं कई सरकारी आदेश

दरअसल अप्रैल, 2022 में सफल बोलीकर्ता के रूप में स्टार 9 मोबिलिटी का नाम सामने आने के बाद पता चला था कि उसकी साझेदार फर्म अल्मास के खिलाफ एनसीएलटी की कोलकाता पीठ ने प्रतिकूल आदेश दिया था. बाद में अल्मास को एनसीएलएटी से भी राहत नहीं मिल पाई थी. भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भी एक विशेष अदालत में अल्मास के खिलाफ शिकायत दायर की थी. इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सफल बोलीकर्ता फर्म ही को अयोग्य घोषित कर दिया गया.

पवन हंस को बेचने की ये तीसरी कोशिश भी नाकाम

पवन हंस को बेचने की यह तीसरी नाकाम कोशिश है. पहली बार साल 2018 में सरकार ने पवन हंस में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे लेकिन ओएनजीसी के भी अपना 49 फीसदी हिस्सा बेचने के लिए राजी हो जाने के बाद इस टेंडर को वापस ले लिया गया था. दूसरी कोशिश साल 2019 में की गई थी लेकिन उसे निवेशकों से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर कैंसिल करना पड़ा था.

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