(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Paytm: पेटीएम को बड़ी राहत, वित्त मंत्रालय ने पेमेंट्स सर्विसेज में हिस्सेदारी घटाने की दी मंजूरी
Paytm Payments Services: इस फैसले के बाद अब कंपनी को आरबीआई से पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस हासिल करने में आसानी हो जाएगी. उसकी एप्लीकेशन पहले रिजेक्ट की जा चुकी है.
Paytm Payments Services: संकट में चल रही पेटीएम को सरकार की तरफ से राहत मिली है. सरकार ने पेटीएम (Paytm) को उसकी सब्सिडियरी पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज (Paytm Payments Services) में हिस्सेदारी घटाने की मंजूरी दे दी है. यह हिस्सेदारी उसको पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस (PA Licence) मिलने के आड़े आ रही थी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने नवंबर, 2022 में उसकी पीए लाइसेंस एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी थी. साथ ही निर्देश दिया था कि कंपनी प्रेस नोट 3 की शर्तें पूरी करने के बाद फिर से अप्लाई करे.
PPSL की 100 फीसदी हिस्सेदारी वन 97 कम्युनिकेशंस के पास
फिनटेक ब्रांड पेटीएम का मालिकाना हक रखने वाली कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस (One97 Communications) ने बुधवार को रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि उसे वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) से पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज (PPSL) में हिस्सेदारी कम करने की मंजूरी मिल गई है. इसमें 100 फीसदी हिस्सेदारी वन 97 कम्युनिकेशंस के पास है. अब कंपनी पीए लाइसेंस के लिए फिर से अप्लाई करेगी. इस दौरान पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज अपने पार्टनर्स को ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेशन सर्विस देती रहेगी.
आरबीआई ने एफडीआई नियमों के पालन का दिया था आदेश
आरबीआई (Reserve Bank of India) ने कंपनी की पीए लाइसेंस एप्लीकेशन रिजेक्ट करते हुए कहा था कि उसे प्रेस नोट 3 के तहत एफडीआई नियमों (FDI Rules) का पालन करना होगा. प्रेस नोट 3 के तहत सरकार ने भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश की पहले से मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था. यह एकदम कोविड महामारी के बाद चीन की कंपनियों द्वारा भारत के मार्केट पर कब्जा जमा लेने की आशंकाओं के चलते उठाया गया था.
पेटीएम में सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन चुका था अलीबाबा ग्रुप
एप्लीकेशन रिजेक्ट होने के समय चीन का अलीबाबा ग्रुप (Alibaba Group) पेटीएम में सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बन चुका था. आरबीआई के पीए गाइडलाइन्स यह भी कहते हैं कि एक कंपनी पेमेंट एग्रीगेटर सर्विसेज के साथ-साथ ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस प्रदान करना जारी नहीं रख सकती है. ऐसी पेमेंट एग्रीगेटर सर्विसेज को ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस बिजनेस से अलग किया जाना चाहिए.
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