नई दिल्लीः 30 साल की उम्र एक ऐसी उम्र होती है जिसमें आकर इंसान को उसकी जिम्मेदारियां पूरी तरह समझ आ चुकी होती हैं. उसके सामने अपने भविष्य का खाका होता है. अधिकांश लोगों की शादी हो चुकी होती है तो उन्हें ये भी पता होता है कि परिवार की कितनी और कैसी जिम्मेदारियों का उन्हें सामना करना पड़ेगा. हालांकि एक बात जो इस उम्र तक आकर भी लोग नजरंदाज कर देते हैं वो है फाइनेंशियल प्लानिंग. बता देना जरूरी है कि अगर 30 साल की उम्र तक भी आकर आर्थिक मोर्चे को संभालना नहीं जानते हैं तो आपके लिए भविष्य में बेहद परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. लिहाजा हम आपको बता रहे हैं कि अगर 30 साल की उम्र तक आकर भी आपने अपने पैसे के मैनेजमेंट को गंभीरता से नहीं लिया है तो कैसे अपने पैसे और फाइनेंशियल प्लानिंग को मैनेज करें.


शुरुआत से डालें बचत और बजट बनाने की आदत- बचत करना एक बेहद अच्छी आदत है और बचपन से इसकी आदत डलवाई जाती है. बच्चे गुल्लक में पैसे डालते हैं और इसके जरिए उन्हें पैसे बचाने की आदत सिखाई जाती है. हालांकि जब हम बड़े हो जाते हैं तो इस बचत के फंडे को भूल जाते हैं और अच्छा कमाने के बावजूद खुला खर्च करते हैं. तो यहां से आप ये सीख लें कि 30 साल तक आने के बाद आपको निश्चित तौर पर बचत करनी है और इसके जरिए हर महीने करके धीरे-धीरे साल के अंत तक अच्छा कोष इक्ट्ठा करना है.



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बजट जरूर बनाएं-अपना मासिक बजट बनाने की आदत अगर 30 साल तक नहीं डाली है तो अब डाल लें. बजट बनाने से आपको खास तौर पर अंदाजा हो जाएगा कि आपका कितना खर्च है और और कितना आप बचा सकते हैं. उस रकम पर दृढ़ रहें और इससे ज्यादा खर्च न करें. बजट में हर महीने एक आकस्मिक फंड के लिए थोड़ी रकम जरूर रखें.


शुरुआत में छोटी निवेश और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं- एक मशहूर शख्स वॉरेन बफे ने कहा है कि पैसा सिर्फ बचाने से नहीं निवेश करने से बढ़ता है. लिहाजा निवेश की आदत डालें और इसमें समय के साथ इजाफा करते रहें. जैसे जब नौकरी शुरू करते हैं तो 5 फीसदी और धीरे धीरे इस निवेश की रकम को बढ़ाकर अपनी आमदनी का 15-20 फीसदी कर दे.


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उधार-कर्ज न लें-उधार लेने की आदत किसी भी तरह अच्छी नहीं कही जा सकती है और कर्ज लेने की बाध्यता हो जाए तभी कर्ज लें. कर्ज ले भी लिया है तो इसको चुकाने की बात प्रायोरिटी से आपके दिमाग में होनी चाहिए. कर्ज लिया है तो जल्द से जल्द इसे चुकाएं क्योंकि इसका ब्याज आपकी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा ले लेता है. कर्ज और उधार के चक्कर में न पड़ें और इससे बचने के लिए अपनी सेविंग और इंवेस्टमेंट पर निर्भर रहें.


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