NPS Investment Change: पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) को निवेशकों के लिए ज्‍यादा फायदा देने के लिए कई कदम उठा रहा है. एनपीएस में कई बदलाव किए जा रहे हैं, जिनमें इक्विटी आवंटन की सीमा को बढ़ाना, सब्‍सक्राइबर्स को ज्‍यादा फंड मैनेजर्स के विकल्‍प देना और एसेट एलोकेशन के साल में ज्‍यादा मौके देने जैसे विकल्प शामिल है.


पीएफआरडीए करीब 7.3 लाख करोड़ रुपये के एसेट का प्रबंधन करता है. एनपीएस सब्‍सक्राइबर्स (NPS Subscribers) अपना फंड तीन एसेट क्‍लास-इक्विटी, गर्वनमेंट सिक्‍योरिटीज और कॉर्पोरेट बॉन्ड में लगा सकता है. फिलहाल सब्‍सक्राइबर्स अपने फंड एलोकेशन में साल में 2 बार बदलाव कर सकते हैं. लेकिन अब इसमें संसोधन करके सब्‍सक्राइबर्स को साल में 4 बार अपने एसेट एलोकेशन में परिवर्तन करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है.


जानिए बदलाव का क्या होगा फायदा


खबरों के अनुसार साल में एसेट एलोकेशन में बदलाव के ज्‍यादा मौके मिलने से एनपीएस सब्‍सक्राइबर्स को काफी फायदा होगा. एनपीएस मार्केट लिंक्‍ड रिटर्न ऑफर करता है. एसेट एलोकेशन में बदलाव करने के ज्‍यादा मौके मिलने से सब्‍सक्राइबर्स मार्केट की चाल का ज्‍यादा फायदा उठा सकेंगे. वे बाजार की चाल के अनुसार अपना निवेश निर्णय कर पाएंगे. खास बात यह है कि चार बार बदलाव की अनुमति उन्‍हीं सब्‍सक्राइबर्स को मिलेगी जो एक्टिव च्‍वाइस एसेट एलोकेशन के विकल्‍प को चुनेंगे.


पीएफआरडीए के चैयरमेन सुप्रितम बैनर्जी की माने तो एनपीएस सदस्य लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि उन्‍हें एसेट एलोकेशन में बदलाव करने के ज्‍यादा मौके एक साल में मिलने चाहिए. इसीलिए हम उन्‍हें अब साल में ऐसा 4 बार करने की अनुमति दे रहे हैं. बैनर्जी ने कहा कि सब्‍सक्राइबर्स को हमेशा याद रखना चाहिए कि यह प्रोडक्‍ट लॉन्‍ग टर्म को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है. इसलिए इसका प्रयोग हमेशा विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए.


इस कदम से बढ़ेगी फंड मैनेजर्स की संख्‍या


अब तक सब्‍सक्राइबर्स को निवेश के लिए 7 फंड मैनेजरों में से किसी एक फंड मैनेजर को चुनना होता है. एनपीएस ने अब एक्सिस, मैक्‍स लाइफ और टाटा को भी एनपीएस फंड मैनेजर के रूप में काम करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. इन्हें बिजनेस सर्टिफिकेट मिलते ही इन तीनों फंड मैनेजर्स की सेवा भी सब्‍सक्राइबर्स को उपलब्‍ध हो जाएगी. साथ ही अब तक सभी एसेट क्‍लास का प्रबंधन एक ही फंड मैनेजर करता था. अब इसमें भी बदलाव किया जाएगा और नॉन गर्वनमेंट सब्‍सक्राइबर्स प्रत्‍येक एसेट क्‍लास के लिए अलग-अलग फंड मैनेजर नियुक्‍त कर पाएंगे.


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