Petrol Diesel Demand: देश में त्योहारी सीजन के चलते पेट्रोल और डीजल की बिक्री अक्टूबर के महीने में चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. उद्योग के शुरुआती आंकड़ों से मंगलवार को यह जानकारी मिली है. आंकड़ों के अनुसार, पेट्रोल की बिक्री अक्टूबर में 12.1 फीसदी बढ़कर 27.8 लाख टन रही, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 24.8 लाख टन थी. अक्टूबर, 2020 की तुलना में बिक्री 16.6 फीसदी अधिक और महामारी पूर्व यानी अक्टूबर- 2019 की तुलना में 21.4 फीसदी अधिक रही.
जून के बाद सबसे ज्यादा मांग रही
सितंबर, 2022 में माह-दर-माह आधार पर इस ईंधन की मांग 1.9 फीसदी घटी थी. वहीं मासिक आधार पर अक्टूबर में मांग 4.8 फीसदी अधिक रही. अक्टूबर में पेट्रोल और डीजल की बिक्री जून के बाद सबसे अधिक रही.
डीजल की बिक्री में 12 फीसदी इजाफा
वहीं देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ईंधन डीजल की बिक्री पिछले महीने 12 फीसदी बढ़कर 65.7 लाख टन हो गई. अक्टूबर, 2020 की तुलना में डीजल की खपत 6.5 फीसदी अधिक रही जबकि अक्टूबर, 2019 की तुलना में यह 13.6 फीसदी अधिक है. अगस्त में माह-दर-माह आधार पर डीजल की मांग जुलाई की तुलना में करीब पांच फीसदी घटी थी. वहीं अक्टूबर में माह-दर-माह आधार पर डीजल की मांग 9.7 फीसदी बढ़ी.
क्या है डीजल की मांग बढ़ने के पीछे कारण
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि देश के अधिकांश हिस्सों में विस्तारित मानसून की समाप्ति और कृषि गतिविधियों में तेजी से डीजल की मांग में वृद्धि हुई है. रबी फसल की बुवाई के साथ-साथ त्योहारी सीजन से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई और मांग में वृद्धि हुई.
एटीएफ की मांग में बड़ा इजाफा
वाहन ईंधन की बिक्री जुलाई और अगस्त में मानसून और कम मांग के कारण घटी थी. लेकिन जैसे ही विमानन क्षेत्र खुला, हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या कोविड-पूर्व के स्तर पर पहुंच गई. इससे विमान ईंधन (एटीएफ) की मांग अक्टूबर के दौरान 26.4 फीसदी बढ़कर 5.68 लाख टन हो गई. यह अक्टूबर, 2020 की तुलना में 65.8 फीसदी अधिक है, लेकिन कोविड-पूर्व यानी अक्टूबर, 2019 की तुलना में 14 फीसदी कम है.
हालांकि रसोई गैस की बिक्री घटी
आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में रसोई गैस एलपीजी की बिक्री सालाना आधार पर 1.27 फीसदी घटकर 24.4 लाख टन रही. एलपीजी की खपत अक्टूबर, 2020 की तुलना में 1.3 फीसदी अधिक और अक्टूबर, 2019 की तुलना में 5.2 फीसदी अधिक है. मासिक आधार पर एलपीजी की खपत सितंबर के 24.8 लाख टन की तुलना से कम रही है.
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