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जीएसटी में आए तो पेट्रोल 75 और डीजल 68 रुपये का हो जाएगा- SBI की रिपोर्ट
सरकार पर पेट्रोल-डीजल सस्ता करने का दबाव बढ़ रहा है. अब इसके लिए तरह-तरह के सुझाव आ रहे हैं और इन्हीं सुझावों में से अहम है इन्हें जीएसटी के दायरे में लाना.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से सरकार इनकी कीमतों में कटौती को लेकर भारी दबाव में हैं. इनकी बढ़ी कीमतों से राहत पाने के लिए इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने की मांग उठ रही है. पिछले दिनों पहले पीएम और फिर मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने भी इसे जीएसटी के दायरे में लाने की सलाह दी थी. इसके पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी यह सुझाव दे चुके हैं. हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे धर्मसंकट बता चुकी हैं. अब एसबीआई के इकोनॉमिस्ट सौम्यकांति घोष ने कहा है जीएसटी के दायरे में लाए जाने के बाद पेट्रोल की कीमत 75 और डीजल 68 रुपये पर आ सकती है.
पेट्रोल-डीजल जीएसटी में आए तो जीडीपी को 0.4 फीसदी का नुकसान
सौम्यकांति घोष ने अपने आकलन में कहा है कि पेट्रोल और डीजल और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 फीसदी होगा. यह आकलन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर- रुपये के एक्सचेंज रेट दर 73 रुपये प्रति डॉलर के आधार पर किया गया है. केंद्र और राज्य सरकार दोनों पेट्रोल-डीजल पर अपना टैक्स लगाते हैं. राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से वैट लगाते हैं. केंद्र एक्साइज ड्यूटी लगाता है. इसके साथ ही इस पर केंद्र का सेस लगता है. देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर तक पहुंच गए हैं.
सऊदी अरब ने भारत के अनुरोध को ठुकराया
इस बीच ओपेक ने कच्चे तेल के उत्पादन पर लागू नियंत्रण को उठाने की भारत की अपील को अनसुना कर दिया है. वहीं इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिली है. सऊदी अरब ने भारत से कहा है कि वह पिछले साल जब कच्चे तेल के दाम काफी नीचे चले गए थे, उस समय खरीदे गये कच्चे तेल का इस्तेमाल कर सकता है. कच्चे तेल का सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाले ब्रेंट कच्चे तेल का भाव शुक्रवार को करीब एक फीसदी बढ़कर 67.44 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
दरअसल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक देशों से अपील की थी कि कच्चे तेल के दाम में स्थिरता लाने के लिये वह उत्पादन पर लागू बंदिशों को कम करें. उनका मानना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ते कच्चे तेल के दाम से आर्थिक क्षेत्र में आने वाला सुधार और मांग दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है.
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