महंगे पेट्रोल-डीजल ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. इस वजह से पहले रिटेल और अब थोक महंगाई में इजाफा दिख रहा है. अब खाने-पीने की चीजों के साथ ही फ्यूल और बिजली की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है. थोक महंगाई दर लगातार दूसरे महीने बढ़ कर पिछले 27 के टॉप पर पहुंच गई. फरवरी में थोक महंगाई दर 4.17 पर पहुंच गई. पिछले साल फरवरी में थोक महंगाई दर 2.26 फीसदी थी. जबकि पिछले महीने ( जनवरी 2021) में थोक महंगाई दर 2.26 फीसदी पर थी. पिछले हफ्ते खुदरा महंगाई दर 5.03 फीसदी पर थी.


थोक मूल्य से खुदरा महंगाई भी बढ़ेगी


विश्लेषकों का कहना है कि थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी का असर खुदरा महंगाई दर पर दिख सकता है. थोक महंगाई दर में दो फीसदी का यह साबित करता है कि महंगाई किस कदर बढ़ गई है. जाहिर है इस पर सबसे बड़ा असर डीजल की बढ़ी कीमतों का पड़ा है. सबसे ज्यादा असर खाने-पीने की चीजों पर बढ़ा है. सालाना आधार पर इसमें 1.36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जनवरी में इसमें सालाना आधार पर 2.80 फीसदी की गिरावट आई थी.


पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से सरकार पर भारी दबाव


सरकार के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है. ईंधनों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की लगातार मांग की जा रही है. पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह सरकार के लिए धर्मसंकट बन गया है. इस बीच, इसे जीएसटी का दायरे में लाने की मांग उठी. पेट्रोलियम धर्मेंद्र प्रधान और मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी इसका समर्थन किया. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को जीएसटी दायरे में लाने का सुझाव दिया था. हालांकि इस पर राज्यों को सहमत होना जरूरी है. पेट्रोल और डीजल पर टैक्स सरकार की कमाई का बड़ा स्त्रोत होता है.


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