Petrol-Diesel Demand in July 2024: जुलाई में देश में पेट्रोल-डीजल की डिमांड में बढ़ोतरी देखने को मिली है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में पेट्रोल की बिक्री में 10 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है. वहीं, डीजल की सेल्स में 4.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. यह आंकड़े अगस्त में जारी किए गए हैं. जुलाई में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के कारण पेट्रोल-डीजल की मांग में बढ़त देखने को मिला है.


वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही की तुलना में जुलाई में पेट्रोल-डीजल की मांग जबरदस्त बढ़त देखने को मिली है. पहली तिमाही में पेट्रोल की मांग में 7.1 फीसदी और डीजल की मांग में 1.6 फीसदी की तेजी देखने को मिली है.


जेट फ्यूल और रसोई गैस की डिमांड में आई तेजी


इसके अलावा पिछले महीने जुलाई में एविएशन फ्यूल यानी जेट फ्यूल की मांग में भी बढ़त देखने को मिली है. जुलाई में जेट फ्यूल की खपत में 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. देश में एलपीजी गैस सिलेंडर की बिक्री में 11 फीसदी की बढ़त आई है. पहली तिमाही में जेट फ्यूल की बिक्री में 11.40 फीसदी और रसोई गैस की खपत में 5 फीसदी की तेजी देखी गई है.


क्यों बढ़ी पेट्रोल-डीजल की खपत


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, देश में तेल की मांग में मजबूती कई कारणों से देखने को मिली है. पिछले महीने कार और बाइक जैसे वाहनों की ज्यादा बिक्री और गर्मियों की छुट्टी खत्म होने के बाद स्कूल खुलने के कारण गाड़ियों की आवाजाही बढ़ी है. ऐसे में इसका असर पेट्रोल की डिमांड पर दिख रहा है. वहीं, डीजल का इस्तेमाल ज्यादातर लंबी दूरी के वाहनों, खनन, खेती और भारी गाड़ियों के लिए किया जाता है. ऐसे मजबूत औद्योगिक गतिविधियों के कारण डीजल की खपत में इजाफा हुआ है. देश में बढ़ती हवाई यात्रा का असर जेट फ्यूल की मांग पर दिख रहा है. ग्राहकों की बढ़ रही संख्या का असर रसोई गैस की डिमांड पर दिख रहा है.


बिजली डिमांड में आई कमी


भारत में जहां पेट्रोल-डीजल की खपत में इजाफा हुआ है वहीं, बिजली की डिमांड में गिरावट आई है. इस महीने बिजली की डिमांड में 3.5 फीसदी की बढ़त हुई और यह 145 बिलियन यूनिट्स पर पहुंच गई है. पिछले साल इस दौरान 140.40 बिलियन यूनिट्स की बिजली की खपत हुई थी. ऐसे में जहां पिछले महीनों में बिजली की डिमांड में 8 से 9 फीसदी का इजाफा हो रहा था, जुलाई में यह कम हो गया है. बिजली की खपत में कमी के पीछे मुख्य कारण मानसून है. गर्मी कम होने के साथ एसी का इस्तेमाल कम हुआ है. इसका असर आंकड़ों पर दिख रहा है.


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