पीएफ से जुड़ा एक नया नियम एक अप्रैल से लागू होने जा रहा है. यह नियम विशेष रूप से उन लोगों पर असर डालेगा जिनकी इनकम ज्‍यादा है और ईपीएफ में अधिक कॉन्ट्रिब्‍यूट करते हैं.


दरअसल इस बार बजट यह घोषणा की गई थी कि जिन लोगों का भी किसी वित्तीय वर्ष में पीएफ में जिनका सालाना योगदान 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें इसके ब्याज पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी.


सीतारमण ने 2021-21 के अपने बजट भाषण में कहा, ‘‘उच्च आय प्राप्त करने वाले कर्मचारियों द्वारा अर्जित आय पर से दी जाने वाली छूट को युक्तिसंगत बनाने के लिए अब यह प्रस्ताव किया गया है कि विभिन्न भविष्य निधियों में कर्मचारियों के अंशदान पर अर्जित ब्याज की आय पर कर छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये के वार्षिक अंशदान तक सीमित रखा जाए.’’ यह एक अप्रैल से प्रभाव में आएगा.’’


बजट के बाद संवाददाता सम्मेलन में मंत्री ने कहा, ‘‘हम किसी कर्मचारियों के अधिकारों का कम नहीं कर रहे हैं. लेकिन अगर कोई एक करोड़ रुपये खाते में जमा कर 8 प्रतिशत ब्याज लेता है, मुझे लगता है कि यह यह सही नहीं हो सकता. और इसीलिए हमने सीमा लगायी है.’’


सरकार का दावा एक प्रतिशत कर्मचारी होंगे प्रभावित
सरकार का दावा है कि इससे एक प्रतिशत से भी कम कर्मचारी प्रभावित होंगे. व्यय सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि वास्तव में जा लोग 2.5 लाख से अधिक का योगदान कर रहे हैं, उनकी संख्या ईपीएफ में योगदान करने वालों की कुल संख्या का एक प्रतिशत से भी कम है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के अंशधारकों की संख्या छह करोड़ है.


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