PFRDA चेयरमैन ने जताया भरोसा, जल्द मिनिमम एश्योर्ड रिटर्न वाला पेंशन प्रोडक्ट लाया जाएगा
PFRDA Chairman on NPS: एनपीएस के वितरण के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और बैंक रीप्रेंजेटेटिव्स को जोड़ा गया है जिससे गांवों और छोटे कस्बों में भी लोग आसानी से इस पेंशन स्कीम का फायदा ले सकेंगे.
PFRDA Chairman on NPS: पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के चेयरमैन दीपक मोहंती ने कहा है कि लोगों को एनपीएस आसानी से मुहैया कराने के लिये इसे सभी बैंक ब्रांचेज और पोस्ट ऑफिसेज में उपलब्ध कराने की कोशिश पीएफआरडीए कर रहा है. पीएफआरडीए ने पेंशन प्रोडक्ट एनपीएस की बिक्री के लिये लगभग सभी बैंकों को जोड़ा है लेकिन बैंकों की सभी ब्रांचेज में यह पेंशन प्रोडक्ट मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि अथॉरिटी ने न्यू पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के वितरण के लिये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और बैंक रीप्रेंजेटेटिव्स को जोड़ा है, जिससे गांवों और छोटे कस्बों में भी लोग आसानी से इस पेंशन स्कीम का फायदा ले सकेंगे.
सभी बैंक शाखाओं और पोस्ट ऑफिसेज में एनपीएस मुहैया कराने की कोशिश
दीपक मोहंती ने वित्तीय पोर्टल मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि हम लोगों को पेंशन प्रोडक्ट एनपीएस आसानी से मुहैया कराने के लिये इसे सभी बैंक शाखाओं और पोस्ट ऑफिसेज में उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं. इस बारे में हमारी टॉप मैनेजमेंट लेवल पर भी बातचीत हुई है लेकिन आखिरी फैसला तो बैंकों को ही करना है. एनपीएस में पेंशन राशि तय नहीं होने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, "लंबे समय तक पेंशन तय करना प्रेक्टिकल नहीं है. कुछ विकसित देशों में जहां पेंशन फंड सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 100 फीसदी या उससे भी ज्यादा है, वहां भी इसको लेकर समस्या हो रही है."
मिनिमम एश्योर्ड रिटर्न यानी न्यूनतम रिटर्न की गारंटी वाला कोई पेंशन प्रोडक्ट इसी वित्त वर्ष में आएगा
पीएफआरडीए चेयरमैन दीपक मोहंती ने ये भी कहा कि मिनिमम एश्योर्ड रिटर्न यानी न्यूनतम रिटर्न की गारंटी वाला कोई पेंशन प्रोडक्ट इस वित्तीय वर्ष में ही लॉन्च करने की योजना है. चालू वित्त वर्ष 2023 के दौरान ही ये पेंशन उत्पाद लाया जा सकता है.
फिलहाल बैंकों और अन्य पीओपी के लिये प्राइवेट सेक्टर में एनपीएस अकाउंट खोलने पर योगदान राशि का आधा फीसदी कमीशन मिलता है. इसमें कम से कम 30 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये कमीशन की सीमा तय है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक मोड से एनपीएस अकाउंट खोलने पर कमीशन (नागरिकों और टियर 2 खातों के लिये) 0.20 फीसदी है. इसमें न्यूनतम लिमिट 15 रुपये और मैक्सिमम लिमिट 10,000 रुपये है.
भारत में ईपीएफओ, जीवन बीमा के पेंशन उत्पाद समेत सभी प्रकार की पेंशन से जुड़ी संपत्तियां जीडीपी का 16.5 फीसदी हैं. वहीं एनपीएस और अटल पेंशन योजना में कोष जीडीपी का 3.6 फीसदी है.
दीपक मोहंती ने कहा, "हमने सभी लोगों के लिये एनपीएस मॉडल के तहत इसे गांवों और छोटे कस्बों में आसानी से मुहैया कराने को लेकर रूरल रीजनल बैंक (आरआरबी) को भी जोड़ा है. इस तरह अब आरआरबी से भी एनपीएस लिया जा सकेगा. इसके अलावा बैंक रीप्रेंजेंटेटिव्स (बैंकिंग कारस्पोन्डेंट) के जरिए भी एनपीएस लेने की अनुमति दी गयी है."
मोहंती ने कहा, "चालू वित्त वर्ष में हमारा प्राइवेट सेक्टर से (कॉरपोरेट और इंडीविजुएल लेवल पर) एनपीएस के तहत कुल 13 लाख सब्सक्राइबर्स को जोड़ने का लक्ष्य है जबकि पिछले वित्त वर्ष में हमने 10 लाख सब्सक्राइबर्स जोड़े थे." आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 16 सितंबर, 2023 तक एनपीएस से जुड़े लोगों की कुल संख्या 1.36 करोड़ (एनपीएस लाइट को छोड़कर) थी. वहीं अटल पेंशन योजना के तहत ग्राहकों की संख्या पांच करोड़ है.
पीएफआरडीए एनपीएस और अटल पेंशन योजना का मैनेजमेंट करता है. अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में जहां योगदान राशि के आधार पर पेंशन तय रहती है. वहीं एनपीएस में 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद कुल फंड के कम-से-कम 40 फीसदी से पेंशन प्रोडक्ट खरीदना अनिवार्य है.
हालांकि, पीएफआरडीए के चेयरमैन ने कहा कि इतना तय है कि एनपीएस पर जो रिटर्न है, वह बहुत अच्छा है और लोग लंबी अवधि में एक अच्छे कोष की उम्मीद कर सकते हैं. पीएफआरडीए के मुताबिक, पेंशन स्कीम्स के तहत इक्विटी में इंवेस्टमेंट पर शुरू से लेकर अब तक 12.84 फीसदी का रिटर्न मिला है. एनपीएस से सरकारी कर्मचारियों के मामले में रिटर्न 9.4 फीसदी तक है.
एक और सवाल के जवाब में मोहंती ने कहा, "एनपीएस बेचने के लिये कमीशन कम है. इससे हो सकता है एजेंट या पीओपी (पॉइंट ऑफ प्रजेंस) यानी बैंक एनपीएस उत्पाद बेचने के लिये ज्यादा आकर्षित न हों. लेकिन हमारा लक्ष्य इसे कम-से-कम खर्च वाला उत्पाद बनाये रखना है ताकि ग्राहकों को लाभ हो.’’
एक अन्य सवाल के जवाब में मोहंती ने कहा कि एनपीएस और एपीवाई के तहत प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां चालू वित्त वर्ष में कम-से-कम 12 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो वर्तमान में 10.22 लाख करोड़ रुपये है. कुल प्रबंधित कोष में एपीवाई की हिस्सेदारी करीब 35,000 करोड़ रुपये है.
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