PhonePE IPO: यूपीआई मार्केट शेयर पर नए नियम ने बिगाड़ दिया आईपीओ का प्लान, फोनपे सीईओ ने बताई ऐसी बात
PhonePE IPO Update: फोनपे मल्टीनेशनल कंपनी वॉलमार्ट की फिनटेक यूनिट है, जो अभी भारत में यूपीआई बाजार में 48 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पहले पायदान पर मौजूद है...
यूपीआई मार्केट में सबसे ज्यादा शेयर रखने वाली फिनटेक कंपनी फोनपे के आईपीओ की योजना टल सकती है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में अपडेट शेयर किया है. उनका कहना है कि यूपीआई को लेकर रेगुलेशंस में हुए हालिया बदलाव से आईपीओ की योजना पर असर हो रहा है.
फोनपे के सीईओ समीर निगम ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान इस बारे में बात की. उन्होंने कार्यक्रम से इतर बताया कि यूपीआई को लेकर 30 फीसदी मार्केट शेयर कैप के नियम से आईपीओ की योजना पर असर हो रहा है. बकौल निगम, जब रेगुलेशन को लेकर अनिश्चितता रहेगी तो हम पब्लिक नहीं जा सकते हैं.
अकेले आधे बाजार पर फोनपे का कब्जा
फोनपे यूपीआई के बाजार में अकेले आधे पर काबिज है और पहले पायदान पर है. अभी यूपीआई से होने वाले कुल लेन-देन में फोनपे की अकेले की हिस्सेदारी लगभग 48 फीसदी है. बाकी के मार्केट शेयर में गूगलपे, पेटीएम, अमेजनपे समेत तमाम अन्य यूपीआई पेमेंट ऐप की हिस्सेदारी शामिल है.
इस कारण नहीं ला रहे हैं अभी आईपीओ
इसका जिक्र करते हुए फोनपे के सीईओ ने कहा- मान लीजिए आप 100 रुपये का एक शेयर खरीद रहे हैं, यह सोचकर कि बाजार में हमारी हिस्सेदारी 48-49 फीसदी है. अब इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि क्या मार्केट शेयर कम होकर 30 फीसदी पर आ जाएगा? अगर हां तो कब तक ऐसा होगा?
यूपीआई मार्केट शेयर पर सरकार का प्रस्ताव
दरअसल केंद्र सरकार चाहती है कि यूपीआई के बाजार में किसी कंपनी की मोनोपॉली न हो. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने कंसंट्रेशन रिस्क (मोनोपॉली) को दूर करने के लिए यूपीआई के बाजार में किसी भी कंपनी का मार्केट शेयर ज्यादा से ज्यादा 30 फीसदी पर रोकने का प्रस्ताव तैयार किया है. समीर निगम इसी प्रस्तावित बदलाव का जिक्र कर रहे थे.
स्विगी-जोमैटो का इस तरह दिया उदाहरण
समीर निगम कहते हैं कि नियामक को किस बात से परेशानी है, अभी यही साफ नहीं है. हमने उनसे पूछा है कि उन्हें क्या दिक्कतें हैं और अनुरोध कर रहे हैं कि वह अपनी दिक्कत को दूर करने के लिए कोई और रास्ता अपनाएं. मुझे सरकार की ओर से कंसंट्रेशन रिस्क के बारे में नहीं बताया गया है. एक उद्यमी के तौर पर मैं उसे ठीक भी नहीं कर सकता. वह किसी और का काम है. उन्होंने फूड डिलीवरी कंपनियां स्विगी और जोमैटो का उदाहरण देते हुए कहा- हम उन्हें कभी नहीं कहते कि आप अपनी कैटेगरी में बहुत बड़े हो गए हो, इस कारण आपको अपना 20 फीसदी मार्केट शेयर किसी अन्य फूड टेक कंपनी के दे देना चाहिए. ये तो ग्राहकों की पसंद के ऊपर है.
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