DHFL को खरीदने की दौड़ में पिरामल ने बाजी मारी, 37,250 करोड़ की पेशकश
इस दौड़ में पिरामल के मुकाबले अमेरिकी कंपनी ओक ट्री शामिल थी, जिसे 45 फीसदी वोट मिले. ओक ट्री ने डीएचएफल के लिए 36,400 करोड़ की बोली लगाई थी जबकि पिरामल ने 37,250 करोड़ रुपये.
संकट के दौर से गुजर रही दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड यानी DHFL को खरीदने की दौड़ में पिरामल ग्रुप सबसे सफल बोलीदाता के रूप में उभरा है. कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स यानी COC ने 15 जनवरी को वोटिंग के जरिये पिरामल को एक मात्र बिडर के तौर पर चुन लिया. सूत्रों के मुताबिक पिरामल को 94 फीसदी वोट मिले. रेज्यूलशन प्लान के लिए कम से कम 66 फीसदी वोट की जरूरत होती है.
डीएचएफएल खरीदने की दौड़ में ओक ट्री को पछाड़ा
इस दौड़ में पिरामल के मुकाबले अमेरिकी कंपनी ओक ट्री शामिल थी, जिसे 45 फीसदी वोट मिले. ओक ट्री ने डीएचएफल के लिए 36,400 करोड़ की बोली लगाई थी जबकि पिरामल ने 37,250 करोड़ रुपये. डीएचएफएल के कर्जदाताओ ने पिरामल के ऑफर के पक्ष में वोटिंग की. कहा जा रहा है कि पिरामल के ऑफर में तुरंत कैश पेमेंट का हिस्सा ज्यादा था. शायद ऑफर के इसी पहलू ने पिरामल के पक्ष में वोटिंग करवाई. पिरामल के ऑफर से कर्जदाताओं का 43 फीसदी पैसा वापस मिल जाएगा. पिरामल का भारतीय कंपनी होना भी उसके पक्ष में गया.
ओक ट्री और पिरामल के बीच कांटे की टक्कर
बिडिंग के चौथे राउंड में ओक ट्री और पिरामल के बीच कांटे की टक्कर देखी गई. पिरामल एंटरप्राइज ने जहां अपनी बोली को 4,000 करोड़ रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक बढ़ाने की पेशकश की थी, वहीं ओकट्री कैपिटल ने अपने अपफ्रंट पेमेंट ऑफर 11,700 करोड़ रुपये में से 1500 करोड़ रुपये एक निश्चित अवधि के लिए होल्ड करने की शर्त में छूट देने की बात कही थी. कंपनी ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल वह डीएचएफएल के लाइफ इंश्योंरेंस बिजनेस के खर्च और कर्ज चुकाने में करेगी.
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