नई दिल्ली: जो लोग अपनी आय को बचाकर रिटायरमेंट के लिए निवेश कर जिंदगी बेहतर बनाने की सोचते हैं उनके लिए ये खबर जानना बेहद जरूरी है. बुधवार की रात को कमर्चारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एलान किया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के लिए ब्याज दर 8.65 से 8.55 फीसदी कर दी है. जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में यही ब्याज दर 8.8 फीसदी थी. प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट पर ब्याज का यह फैसला बुधवार को ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड के ट्रस्टियों की बोर्ड मीटिंग में लिया गया है.


इस तरह की कटौती ईपीएफ की ब्याज दरों पर ही नहीं की गई बल्कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ), एनएससी, पोस्ट ऑफिस सेविंग प्रोड्क्ट्स की ब्याज दरों में पिछले कुछ सालों में कमी आई हैं. पीपीएफ पर 7.6 फीसदी ब्याज मिल रहा है. भारतीय निवेशक आज भी लंबी अवधि के फाइनेंशियल गोल यानि की रिटायरमेंट के लिए भी फिक्स्ड प्रोड्क्ट्स में निवेश करते हैं. लेकिन लंबे अवधि वाले और टैक्स बचाने वाले प्रोड्क्ट्स, इक्विटी प्रोड्क्ट्स की तुलना में कम रिटर्न देते हैं.


ओम्नीसाइंस कैपिटल के सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार विकास गुप्ता ने कहा कि रिटायरमेंट के लिए बचत करने वाले लोगों को इक्विटी प्रोड्क्ट्स में निवेश करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि सरकार भी नहीं चाहती कि लोग फिक्स्ड इनकम प्रोड्क्ट्स पर आश्रित ना रहें. इसलिए वह ब्याज दरों में कटौती करके इनकी ओर आकर्षण कम कर रही है. यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा.' जो लोग रिटायरमेंट होते- होते बचत करने की सोच रहे हैं उन्हें थोड़ा जोखिम लेना पड़ सकता है. हां, इक्विटी प्रोड्क्ट्स कम समय में जोखिम भरा होता है, लेकिन लंबे समय के लिए कारगार साबित होता है साथ ही ज्यादा रिटर्न मिलता है.


रिटायरमेंट पर बचत के बेहतरीन नुस्खे




  • आप एसआईपी से इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करिए. इसमें आपको ईसीएस का ऑप्शन चुनना चाहिए. इससे आपके बैंक खाते से म्यूचुअल फंड में पैसा एक तय समय पर अपने आप कटता रहेगा.

  • जब भी आपकी सैलरी में बढ़ोतरी हो, उसका 15-20 फीसदी हिस्सा बचाए. जिससे आपको पता भी नहीं चलेगा और यह पैसा लगातार जमा होता रहेगा.

  • आप सभी बच्चों की पढ़ाई के लिए रिटायरमेंट की बचत का इस्तेमाल मत करिए.

  • इक्विटी से आप लॉन्ग टर्म में 12 फीसदी सालाना और डेट प्रॉडक्ट्स से 7 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं. इससे अधिक रिटर्न की उम्मीद करना मुनासिब नहीं होगा.

  • हर दो से तीन साल पर अपने रिटायरमेंट की समीक्षा करिए और जरूरत पड़ने पर उसे देखते रहें.