घर खरीदना हर किसी के जीवन के सबसे बड़े वित्तीय फैसलों में एक होता है. इसके लिए लोग सालों तैयारी करते हैं और पाई-पाई जोड़कर पैसे जमा करते हैं. घर खरीदते समय बहुत सारे लोग पहले से रखे सोने-गहने आदि को बेचकर भी पैसे जुटाते हैं. अगर आप भी ऐसी कोई योजना बना रहे हैं तो उससे पहले आपको इनकम टैक्स के कुछ नियमों के बारे में अच्छे से जरूर जान लेना चाहिए.
गहने बेचने पर देना होता है टैक्स
अभी के समय में सोने के भाव रिकॉर्ड उच्च स्तर के आस-पास चल रहे हैं. ऐसे में भी लोग घर खरीदने के लिए फाइनेंस जुटाने के प्रयासों में गहने हटाने के बारे में सोच सकते हैं. आपको उससे पहले यह मालूम होना चाहिए कि गहने आपने खुद से खरीदे हों या आपको विरासत में अथवा तोहफे में मिले हों, जब भी आप उसे बेचने जाएंगे, आपके ऊपर टैक्स की देनदारी बनेगी.
इस तरह से बनती है टैक्स की देनदारी
अगर आप गहने को उसके खरीदे जाने की तारीख से 3 साल के अंदर बेच रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में आपके ऊपर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. वहीं अगर होल्डिंग पीरियड 3 साल से ज्यादा है, तब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. मतलब हर स्थिति में टैक्स देना ही पड़ेगा और कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनेगी ही, चाहे वह शॉर्ट टर्म हो या लॉन्ग टर्म.
ऐसे पाएं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट
भारतीय इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्सपेयर्स को कुछ विशेष मामलों में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिलती है. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 54 एफ के तहत यह छूट मिलती है. इसके तहत अगर आपको कोई संपत्ति बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हो रहा है, लेकिन आप उस पैसे का इस्तेमाल रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी मकान खरीदने में कर रहे हैं तो आप लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी से छूट का दावा कर सकते हैं.
सिर्फ इन मामलों में मिल पाएगी छूट
हालांकि यह लाभ तभी मिलता है, जब आप कुछ जरूरी शर्तों को पूरा कर रहे हों. आप घर खरीदने के एक साल बाद तक बेची गई ज्वेलरी पर यह छूट पा सकते हैं. वहीं गहने बेचने के बाद दो साल के भीतर उसका इस्तेमाल घर खरीदने में करने पर भी छूट मिलती है. अगर आप घर बना रहे हैं तो गहने बेचने के बाद आपको छूट पाने के लिए 3 साल तक का समय मिलता है. पहले इस छूट की कोई लिमिट नहीं थी, लेकिन अब इसके लिए 10 करोड़ रुपये करी अधिकतम सीमा तय कर दी गई है.
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