Gold Bond: ऊंची कीमतों पर गोल्ड बॉन्ड बेचने का है प्लान? पहले जान लीजिए टैक्स के ये नियम
Taxation on Gold Bond: विभिन्न भू-राजनीतिक कारणों से सोने के भाव में पिछले कुछ दिनों में लगातार तेजी आई है और भाव अभी रिकॉर्ड उच्च स्तर के आस-पास चल रहा है...
अभी सोने की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर के पास चल रही हैं. यह सोने के निवेशकों के लिए फायदेमंद है. कई निवेशक इस मौके का लाभ उठाना चाह रहे हैं. खासकर गोल्ड बॉन्ड के निवेशक ऊंचे भाव पर अभी एक्जिट करने की योजना बना रहे हैं. अगर आप भी गोल्ड बॉन्ड बेचकर अभी मुनाफा कमाने की योजना बना रहे हैं तो आपको सबसे पहले टैक्स से जुड़े नियमों के बारे में जान लेना चाहिए.
सोने का मौजूदा भाव
शुक्रवार के कारोबार में एमसीएक्स पर सोने की कीमतें 73 हजार रुपये के स्तर के पार निकल गई थीं. इंट्राडे में सोना 73,083 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्च स्तर तक पहुंचा था. बीते दिनों सोने के भाव ने 75 हजार रुपये के स्तर को भी पार किया था. अभी खुदरा बाजार में कई बड़े शहरों में सोना 75 हजार के पार चल रहा है. शुक्रवार को मुंबई में 24 कैरेट का सोना खुदरा बाजार में 75,681 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर था. कोलकाता और चेन्नई में तो भाव 75,900 रुपये के भी पार थे.
इन कारणों से बढ़ रहा है भाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोना मजबूत बना हुआ है. भू-राजनीतिक तनावों और आर्थिक अनिश्चित माहौल के चलते निवेशक सुरक्षित नवेश के रूप में खूब सोना खरीद रहे हैं. इसके चलते शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना हाजिर का भाव 1.4 फीसदी उछलकर 2,415 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया था. सोना बीते कुछ सप्ताह के दौरान कई बार 2,500 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर चुका है.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स
यह स्थिति सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को बेचने के लिए प्रेरित कर सकती है. गोल्ड बॉन्ड पर दो तरह से टैक्स देना होता है. एक टैक्स कैपिटल गेन का लगता है, जबकि दूसरा टैक्स ब्याज से होने वाली कमाई पर लगता है. अगर कोई इन्वेस्टर 1 साल से कम समय में गोल्ड बॉन्ड को बेचता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. यह टैक्स आपके इनकम टैक्स के स्लैब के हिसाब से लगता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
वहीं अगर आप गोल्ड बॉन्ड को 1 साल से ज्यादा समय होल्ड करने के बाद बेचते हैं तो आपके ऊपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. इसमें 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है और साथ में निवेशकों को इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. अगर आप कैपिटल गेन टैक्स से बचना चाहते हैं तो आपको मैच्योर होने तक गोल्ड बॉन्ड को होल्ड करना होगा. मैच्योरिटी पर भुनाने के मामले में गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों के लिए भाव बढ़ने से हुई कमाई टैक्स-फ्री हो जाती है.
ब्याज से कमाई पर टैक्स
गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को भाव बढ़ने के अलावा ब्याज के रूप में भी कमाई होती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को 2.5 फीसदी का ब्याज भी मिलता है. यह कमाई हर स्थिति में टैक्सेबल होती है. मतलब आप साल भर के अंदर भुनाएं या साल भर के बाद अथवा मैच्योर होने पर, ब्याज से हुई कमाई पर हर सूरत में टैक्स देना होगा. इस कमाई पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है. इस कमाई को आपकी कुल कमाई में जोड़ दिया जाता है और उसके बाद आपकी कमाई जिस स्लैब में जाती है, उसके हिसाब से इनकम टैक्स की देनदारी बनती है.
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