उद्योग संगठन एसोचैम के मुताबिक सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बना सकती है. एसोचैम का मानना है कि सरकार की यह स्कीम काफी कारगर है. अगर इसे धीरे-धीरे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाए तो यह बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा कर सकती है.


रोजगार के लिए मुफीद योजना 


एसोचैम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यह वक्त भारत का उत्पादन बढ़ाने के लिए लिहाज से काफी अच्छा है. भारत के पास काफी बड़ा श्रम बल है. इसका इस्तेमाल पीएलआई स्कीम में काफी अच्छे तरीके से हो सकता है. सरकार ने दस सेक्टरों लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव को मंजूरी दे दी है. यह स्कीम 1.45 लाख करोड़ रुपये की है और इससे व्हाइट गुड्स, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टरों में निवेश बढ़ने की पूरी उम्मीद है.


सबसे बड़ा हिस्सा ऑटोमोबाइल सेक्टर को


प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का सबसे बड़ा ऑटो और ऑटोमोबाइल सेक्टर को मिल रहा है. ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट सेक्टर को 57,042 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी मिल रही है. इसके बाद बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री को 18,100 करोड़ रुपये मिल रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए बैटरी इंडस्ट्री को PLI के दायरे में रखा गया है. इंसेंटिव बिक्री बढ़ने के आधार पर दिया जाएगा.


पीएम मोदी ने इस योजना के बारे में ट्वीट करते हुए लिखा था- दस सेक्टरों के लिए PLI  स्कीम से मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को रोजगार के अवसर हासिल होंगे इसके अलावा इससे भारत में इन सेक्टरों में निवेश भी आएगा. यह भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद मिलेगी.


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